यूपी के परिवार के लिए मसीहा बनी दिल्ली पुलिस, दंगे में बिछड़े मासूम को मिलवाया
दिल्ली दंगे में परिवार से बिछड़े एक बच्चे को पुलिस ने उसके परिवार वालों से मिलवाया है। ये परिवार यूपी का रहने वाला है।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। दिल्ली दंगा याद है न... दंगाइयों ने न केवल लोगों के घर-दुकानों को जला दिया, सड़कों पर कत्लेआम हुआ। कुछ लोगों का सब कुछ तबाह हो तो कुछ के अपने बिछड़ गए। जिस वक्त सड़कों पर वाहनों को जलाया जा रहा था, चारों ओर गोलियों की आवाजें गूंज रही थीं। उस वक्त एक मासूम सड़क किनारे बैठकर डर से थर्रा रहा था, उसकी आंखे अपनी बहन को ढूंढ रही थी। जो दंगों में उससे बिछड़ गई थी, तभी एक नेक दिल इनसान बच्चे के पास पहुंचा और उसे गोकलपुरी थाने में छोड़ आया, इस उम्मीद से की पुलिस उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा देगी।
बच्चे को केवल अपना और अपने अम्मी अब्बू का नाम ही मालूम था। पुलिस ने भी बच्चे के स्वजनों को कई दिन ढूंढा, जब नहीं मिला तो चार वर्षीय अमान को सिविल लाइन के पालने में भर्ती करवा दिया। इन दिनों दिल्ली पुलिस ने बिछड़े बच्चों को परिवार से मिलवाने के लिए अभियान शुरू किया हुआ है। थाना पुलिस से अमान का मामला साइबर सेल को सौंपा गया।
परिवार के सदस्यों का नाम भी नहीं जानता था बच्चा
पुलिस ने इंस्पेक्टर तनवीर अशरफ के नेतृत्व में एसआइ नरेश व प्रह्लाद, एएसआइ अख्तर आलम की टीम बनाई। टीम ने बच्चे से ठीक तरह से पूछताछ की तो बच्चे ने बस इतना बताया कि वह एक जगह अतागंज को जानता है, उसे नहीं मालूम यह किस जगह पड़ता है। टीम ने बच्चे से पूछा कि उसके घर के आसपास कोई ऐसी जगह है जिसे वह पहचानता हो, बच्चे ने बताया हां एक स्कूल है। अब टीम के सामने बड़ी चुनौती थी अतागंज को ढूंढना जहां स्कूल है।
पुलिस ने गूगल का लिया सहाया
पुलिस टीम ने गूगल का सहारा लिया और अतागंज के बारे जानकारी जुटाई। पता चला उत्तर प्रदेश के रायबरेली के पास अतागंज एक गांव है। टीम ने उत्तर प्रदेश पुलिस से संपर्क कर बच्चे के स्वजनों को ढूंढने में मदद करने की अपील की, लेकिन वहां की पुलिस ने कोरोना मरीजों का हवाला देकर व्यस्त होने की मजबूरी बता दी।
ग्राम प्रधान से ली मदद
इसके बाद टीम ने किसी तरह गांव के प्रधान से संपर्क किया और बच्चे की फोटो भेजकर उसके अभिभावकों के बारे में पता करने के लिए कहा। लेकिन पता नहीं चल पाया, प्रधान ने बताया की अतागंज उसारी नाम से एक दूसरा गांव भी है, टीम ने उस गांव के प्रधान से संपर्क किया और उस प्रधान ने बच्चे के अभिभावकों को गांव में तलाश लिया। बच्चे के घर के सामने एक सरकारी स्कूल बना हुआ है। टीम ने अभिभावकों को दिल्ली बुलाकर को उन्हें सौंप दिया।
6 महीने बाद परिवार से मिला बच्चा
छह महीने की लंबी जुदाई के बाद आखिकार पुलिस के प्रयास से अमान अपने घर वालों से मिला। अमान के स्वजनों ने बताया उनकी शादीशुदा बेटी लोनी में रहती है, 24 फरवरी को उनकी बेटी अमान को लेकर किसी काम से बाहर गई थी। उसी दिन अचानक दिल्ली में दंगे भड़क गए थे, जिसकी आंच लोनी तक पहुँची थी। दंगों में अमान अपनी बहन से बिछड़ गया था। पालना में रहते हुए अमान की काउंसलिंग भी की गई थी, क्योंकि दंगों से बुरी तरह डर गया था। बता दें उत्तरी पूर्वी दिल्ली में गत 23 फरवरी को दंगे भड़के थे, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।