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मासूमों को जुर्म के दलदल से निकालने का ‘संकल्प’, पुलिस के मुहिम की हो रही जमकर सराहना

दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने उपायुक्त दीपक पुरोहित को संकल्प योजना से जुड़ी पहल के लिए उनकी जमकर सराहना की है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि जिले में भी रास्ते से भटके किशोरों को सही रास्ते पर लाने का संकल्प लिया जाएगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 03:17 PM (IST)
मासूमों को जुर्म के दलदल से निकालने का ‘संकल्प’, पुलिस के मुहिम की हो रही जमकर सराहना
कोई अंजाने, कोई क्रोध तो कोई गलत संगति का हुआ शिकार

नईदिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। जाने या अंजाने, गलत संगति के कारण अपराध में लिप्त किशोरों को सही रास्ते पर लाने का पुलिस ने संकल्प लिया है। पश्चिमी जिला पुलिस इस दिशा में पिछले कई महीनों से कार्य कर रही है। अब धीरे धीरे पुलिस का संकल्प रंग ला रहा है। रास्ते से भटके कई किशोर अब समाज की मुख्यधारा से जुड़कर नौकरी कर रहे हैं। ये किशोर अब समाज या पुलिस के लिए सिरदर्द बल्कि बल्कि मजबूत संसाधन बन चुके हैं। आलम यह है कि जो किशोर कभी अपनी आंखों से सड़क पर वारदात के लिए आसान शिकार की तलाश करते थे, अब वे पुलिस की आंख- कान बनने को आतुर हैं।

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दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने पश्चिमी जिला पुलिस के उपायुक्त दीपक पुरोहित को संकल्प योजना से जुड़ी पहल के लिए उनकी जमकर सराहना की है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि पश्चिमी जिला की ही तरह दिल्ली के अन्य पुलिस जिले में भी रास्ते से भटके किशोरों को सही रास्ते पर लाने का संकल्प लिया जाएगा।

दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों की बात करें तो 13382 किशोर विभिन्न आपराधिक मामलों में आरोपित थे। ये कोई कम तादाद नहीं है। संकल्प योजना के तहत यदि हम इन 13382 किशोरों को जुर्म की दुनिया से अलग कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ दें तो इससे न सिर्फ उन किशोरों का भला होगा, बल्कि सीधे तौर पर 13382 परिवारों में हम खुशहाली ला पाने में सक्षम होंगे। इतना ही नहीं मुख्य धारा से जुड़कर ये किशोर राह से भटके दूसरे किशोर को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़कर सकारात्मक कार्य करने को प्रेरित करेंगे। हमारी यह कोशिश समाज को उन्नति के रास्ते पर लेकर जाएगी।

अंधेरे से उजाले का सफर

संकल्प के तहत पुलिस ने क्षेत्र के विभिन्न थानों में दर्ज ऐसे मामले खंगालने शुरू किए जिनमें किशोरों की भूमिका प्राथमिक तौर पर सामने आई थी। पुलिस ने ऐसे किशोरों के बारे में जानकारी एकत्रित कर उनसे संपर्क किया। उन्हें थाने में बुलाकर विशेषज्ञों से उनकी काउंसिलिंग कराई गई। उनकी योग्यता व अभिरुचि के अनुसार पुलिस ने उनके लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण का इंतजाम किया। इस कार्य में पुलिस को कुछ संस्थानों का भी सहयोग मिला। कोरोना काल में जब आवाजाही को लेकर प्रतिबंध थे, तब भी प्रशिक्षण का कार्य बाधित न हो, इसके लिए ई लर्निंग का इंतजाम किया। जब प्रशिक्षण का कार्य पूरा हुआ तब इनके नौकरी का भी पुलिस ने इंतजाम किया। अलग अलग कंपनियों में आज कई किशोर व युवा नौकरी कर रहे हैं।

कोई अंजाने, कोई क्रोध तो कोई गलत संगति का हुआ शिकार

अब एक दवा कंपनी में कार्यरत किशोर ने बताया कि अपराध की दुनिया में उसने कदम रखा तो उसे सही व गलत की पहचान नहीं थी। बुरी संगत के बीच एक बार झगड़े के दौरान उसने एक शख्स से जमकर हाथापाई कर ली। इसके बाद वह अपराध के दलदल में फंसता ही गया। लेकिन काउंसिलिंग के बाद उसे सही व गलत का फर्क महसूस हुआ। एक लड़के ने बताया कि थूक फेंकने को लेकर हुए विवाद में उसने क्रोध में आकर एक शख्स पर हमला कर दिया। छोटी सी बात को लेकर शुरू हुआ झगड़ा भयावह बन गया। लेकिन अब वह झगड़े से दूर रहता है। उसने क्रोध पर काबू पाना सीख लिया है। एक किशोर का कहना था कि उसे इस बात का पता नहीं था वह गैर कानूनी कार्य कर रहा है। उसके स्वजन ही उससे गलत कार्य करवाते थे। इस बात का पता तब चला जब वह पुलिस की पकड़ में आया। लेकिन देर से सही उसने पुराने गलत कर्मों से मुक्ति पा ली।

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