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दिल्ली में ब्लैक फंगस की नकली दवा व इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, दो डाक्टर समेत 10 लोग गिरफ्तार

डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि 17 जून को ड्रग कंट्रोलर कार्यालय से सूचना मिली कि दिल्ली में ब्लैक फंगस के कुछ नकली इंजेक्शन बनाकर बेचे जा रहे हैं। यह भी जानकारी मिली कि जो दवा खुले बाजार में नहीं बेची जा सकती वह खुले बाजार में बिक रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 07:16 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 07:22 PM (IST)
दिल्ली में ब्लैक फंगस की नकली दवा व इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, दो डाक्टर समेत 10 लोग गिरफ्तार
ब्लैक फंगस की नकली दवाई बनाने के आरोप में दो डाक्टर समेत 10 गिरफ्तार

नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा का नकली इंजेक्शन बनाने व बेचने वाले गिरोह का दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो डाक्टर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के पास से तीन हजार 293 नकली इंजेक्शन बरामद हुई है। गिरफ्तार आरोपितों में निजामुद्दीन निवासी डा अल्तमश हुसैन, मोहम्मद आफताब, फैजान, मेरठ निवासी डा आमिर, दिल्ली के जामिया नगर निवासी वसीम खान, मोहम्मद फैजल, शोएब खान, अफजल, दिल्ली के जनकपुरी निवासी मयंक तलुजा, झील खुरंजा निवासी शिवम भाटिया हैं। आरोपित डा अल्तमश हुसैन के घर पर नकली इंजेक्शन बनाए जा रहे थे।

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वहीं डा आमिर ने मेडि हेल्थ कनेक्ट के नाम से कंपनी बनाई हुई थी। इसी कंपनी के जरिये डा अल्तमश नकली दवाओं की आपूर्ति मेडिकल स्टोर समेत आदि जगहों पर करता था।

अपराध शाखा की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि 17 जून को ड्रग कंट्रोलर कार्यालय से सूचना मिली कि दिल्ली में ब्लैक फंगस के कुछ नकली इंजेक्शन बनाकर बेचे जा रहे हैं। यह भी जानकारी मिली कि जो दवा खुले बाजार में नहीं बेची जा सकती वह खुले बाजार में बिक रही है। जिसके बाद अपराध शाखा व ड्रग कंट्रोलर की टीम ने एक संयुक्त कार्रवाई में सबसे पहने वसीम खान को गिरफ्तार किया। वसीम खान से जब पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसे मयंक से दवाई मिलती थी। जिसके बाद मयंक को गिरफ्तार किया गया।

मयंक की निशानदेही पर फिर अपराध शाखा की टीम ने शिवम भाटिया को गिरफ्तार किया है। आरोपितों से पूछताछ और उनकी निशानदेही पर गिरोह में शामिल दो डाक्टर समेत 10 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपित डा अल्तमश पर पहले से ही पांच धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में गाजियाबाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, जहां से उसे जमानत मिल गई थी। नकली दवाई बनाने के लिए ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले तीन सौ एक्सपायर्ड इंजेक्शन खरीदें। इसके साथ ही सामान्य फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले दवाइयों की भी खरीदा गया।

इन सब दवाओं को मिला कर एक दवा बनाने वाली नामी विदेशी कंपनी के नाम से नकली डब्बों में पैक किया जाता था। आरोपितों ने अब तक चार सौ से अधिक लोगों को ब्लैक फंगल की नकली दवाई बेंच चुके हैं। पुलिस फिलहाल यह पता लगा रही है कि इस नकली दवाई के इस्तेमाल से मरीज को कितना नुकसान हो सकता है। इसके लिए पुलिस चिकित्सकों की राय ले रही है।

आरोपितों की प्रोफाइल

डा अल्तमश ने साल 2012 में लखनऊ से एमबीबीएस किया। साल 2013 में उसने एम्स से न्यूरोलाजी में डिप्लोमा हासिल किया। वह गत वर्ष से हयात हेल्थ इंश्योरेंस एंड फार्मेसी में सीइओ के पद पर काम कर रहा था। वहीं, डाक्टर आमिर मेरठ का रहने वाला है। इसने साल 2016 अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई की है और दिल्ली और मेरठ के चार अस्पतालों में नौकरी भी कर चुका है। इसके बाद उसने मेडि हेल्थ कनेक्ट नाम से अपनी कंपनी खोल ली।

वहीं आरोपित फैजान ने मोदी नगर से बीटेक कर किया हुआ है। वह इस कंपनी का निदेशक है। मो.अफताब अपने संपर्क वाले लोगों को इंजेक्शन सप्लाई करता था। शिवम भाटिया बीते एक साल से डा आमिर की कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर काम कर रहा था। अफजल, मो फैजल और वसीम अल खिदमत मेडिकोज में सेल्स मेन का काम कर रहे थे, जबकि शोएब खां इस मेडिकोज का मालिक है। जबकि मयंक तलूजा ने बीबीए तक पढ़ाई कर रखी है। वह वसीम के संपर्क में आकर इस धंधे में शामिल हो गया।


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