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रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे दो लोगों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

दक्षिणी जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि रविवार को सब इंस्पेक्टर मंजीत कुमार को सूचना मिली थी कि घिटोरनी मेट्रो स्टेशन के पास महरौली रोड पर रेमडिसिविर महंगे दाम पर बेचने के लिए एक शख्स आएगा। इसके बाद ट्रैप लगाकर शख्स को इंजेक्शन के साथ पकड़ा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 06:45 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 07:22 AM (IST)
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे दो लोगों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार
आरोपित ने बताया कि पूछताछ में बताया कि 70 हजार में इन इंजेक्शन को बेचने वाला था।

नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। फतेहपुरबेरी थाना पुलिस ने तीमारदारों को 70 हजार रुपये में रेमडिसिविर इंजेक्शन बेच रहे दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान विभूति कुमार उर्फ विद्या सागर और मनोज कुमार के रूप में की गई है । आरोपितों से तीन इंजेक्शन बरामद किए गए हैं।

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दक्षिणी जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि रविवार को सब इंस्पेक्टर मंजीत कुमार को सूचना मिली थी कि घिटोरनी मेट्रो स्टेशन के पास महरौली रोड पर रेमडिसिविर महंगे दाम पर बेचने के लिए एक शख्स आएगा। इसके बाद एसएचओ कुलदीप सिंह की टीम ने घिटोरनी मेट्रो स्टेशन के पास ट्रैप लगाकर एक शख्स को इंजेक्शन के साथ पकड़ा।

आरोपित विभूति कुमार ने पूछताछ में बताया कि 70 हजार में इन इंजेक्शन को बेचने वाला था। उससे दो इंजेक्शन बरामद हुए। पूछताछ में विभूति ने मनोज कुमार के बारे में बताया। इसके बाद पुलिस ने ओल्ड राजेंद्र नगर निवासी 42 वर्षीय मनोज कुमार को गिरफ्तार कर उससे भी एक इंजेक्शन बरामद किया।

पुलिस ने दोनों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। विभूति कुमार ने पुलिस को बताया कि वह मनोज से इंजेक्शन लेकर आगे बेचता था। मूलरूप से बिहार के नालंदा जिला निवासी विभूति ने 2011 में नर्सिंग का कोर्स किया था। वह 2014 में दिल्ली आया था। शुरुआत में इसने बालाजी नर्सिंग होम इंद्रपुरी में कंपाउंडर की नौकरी की थी। तीन साल बाद नौकरी छोड़कर गंगाराम अस्पताल के पास अपना नर्सिंग स्टाफ का काम शुरू किया था। मनोज कुमार मूलरूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव का रहने वाला है।

बता दें कि दिल्ली में कोरोना के केस लगातार बढ़ने के बीच मरीजों को ऑक्सीजन, बेड और दवाओं की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग सरकार से गुहार लगाने के बाद काम ना बनता देख ब्लैक में खरीदने को मजबूर हैं। ताकि किसी भी सूरत में मरीज की जान बच सके।


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