Delhi News: प्रमुख हिंदू मंदिरों पर बढ़ते सरकारी नियंत्रण ने संत समाज की बढ़ाई चिंता
देशभर से 200 से अधिक प्रमुख संत व धार्मिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए। मंदिरों की प्रबंध व्यवस्था को लेकर इस तरह की यह पहली बैठक थी जिसमें संत समाज ने देश के प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन का काम सरकारों द्वारा अपने हाथ में लिए जाने पर चिंता जताई।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। देशभर में मौजूद प्रमुख हिंदू मंदिरों पर बढ़ते सरकारी नियंत्रण ने संत समाज की चिंता बढ़ाई है। संत समाज के मुताबिक यह परंपरा अंग्रेजों ने बढ़ाई और दुखद स्थिति यह है कि आजादी के बाद भी नौकरशाह और राजनेता अपने स्वार्थ लाभ के लिए इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
यह चिंता उत्तराखंड में चार धाम को कानून बनाकर राज्य सरकार द्वारा अपने नियंत्रण में लेने से और बढ़ी है। अब संत समाज ने राज्य सरकारों के इन प्रयासों का मुखर तरीके से विरोध करने की तैयारी की है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में राष्ट्रीय राजधानी में आचार्य महासभा की बैठक हुई।
इस बैठक में देशभर से 200 से अधिक प्रमुख संत व धार्मिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए। मंदिरों की प्रबंध व्यवस्था को लेकर इस तरह की यह पहली बैठक थी, जिसमें संत समाज ने देश के प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन का काम सरकारों द्वारा अपने हाथ में लिए जाने पर चिंता जताई। बैठक में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। इसके लिए केंद्र सरकार से मंदिरों का संचालन समाज के जरिये सुनिश्चित कराने के लिए कानून बनाने का अनुरोध करना भी शामिल है।
इस बैठक में योग गुरु बाबा रामदेव के साथ ही स्वामी ज्ञानानंद महाराज व स्वामी निर्मलआनंदनाथ, राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी व संघ विचारक एस. गुरुमूर्ति भी उपस्थित थे। बैठक को अध्यक्षता स्वामी परमात्मानंद महाराज ने की।
बैठक में उत्तराखंड में चार धाम देवस्थानम एक्ट का मामला प्रमुखता से उठा, जिसमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में जाने की व्यवस्था है। इसी तरह दक्षिण राज्यों में सबरीमाला मंदिर, तिरुपति बाला जी, पद्मनाभस्वामी मंदिर समेत अन्य के मंदिरों के सरकारी नियंत्रण पर गंभीर चिंता जताई गई। बैठक में शामिल एक प्रमुख संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि बैठक में संतों ने दो टूक कहा कि सरकार का काम मंदिरों के प्रबंधन का नहीं है, बल्कि यह काम श्रद्धालुओं और परंपरागत तरीके से जो करते आ रहे हैं, उनका है।
चिंता की बात यह है कि मंदिरों में चढ़ावे की राशि व संपत्ति के दुरुपयोग तथा तिरुपति बाला जी जैसे मंदिरों में दूसरे धर्म के लोगों को अधिकारी नियुक्त करने के भी मामले सामने आए हैं, इसलिए अब इस पर विचार जरूरी है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि विहिप इस मुद्दे को पहले से उठाती रही है, अब संतों के आगे आने से यह संकल्प और मजबूत हुआ है। इस संघर्ष को जारी रखा जाएगा और मंदिरों को सरकार के चंगुल से मुक्त कराया जाएगा।