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Delhi News: हकीम अजमल खान के प्रयास अतुलनीय: सत्येंद्र जैन

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी अजमल खां की तरफ से किए गए समाज सुधार के प्रयास अतुलनीय हैं। तिब्बिया कॉलेज के माध्यम से उन्होंने यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 12:43 PM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 12:43 PM (IST)
Delhi News: हकीम अजमल खान के प्रयास अतुलनीय: सत्येंद्र जैन
करोल बाग स्थित आयुर्वेद व यूनानी तिब्बिया कॉलेज की स्थापना के 100 वर्ष पूरे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी अजमल खां की तरफ से किए गए समाज सुधार के प्रयास अतुलनीय हैं। तिब्बिया कॉलेज के माध्यम से उन्होंने यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया। उनकी कामना थी कि यह कॉलेज आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा शिक्षा में उत्कृष्ट संस्थान बने।

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इसलिए उनके जन्मदिवस को यूनानी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उन्होंने कोविड-19 के इलाज में कॉलेज के योगदान की सराहना करते हुए बताया कि कॉलेज 1000 से अधिक मरीजों का सफल उपचार हुआ। करोल बाग स्थित आयुर्वेद व यूनानी तिब्बिया कॉलेज की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर अपने वीडियो संदेश में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह बातें कहीं। 

वहीं, इस अवसर पर कॉलेज में समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में दिल्ली सरकार में विशेष सचिव (आयुष स्वास्थ्य व परिवार कल्याण) राजकुमार ने कहा कि कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की मांग से वे सहमत हैं। फैकल्टी बढ़ाने, नई नियुक्ति या कोर्स शुरू करने के लिए कॉलेज प्रशासन को मौजूदा व्यवस्था में लंबा इंतजार करना पड़ता होगा। विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर निर्णय लेना आसान होगा। 

इस दौरान करोल बाग के विधायक विशेष रवि ने कहा कि हकीम अजमल खान देश के ऐसे पहले विद्वान थे, जिन्होंने वैज्ञानिक तरीके से यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया। उनके द्वारा स्थापित यह देश का पहला ऐसा संस्थान है, जहां यूनानी व आयुर्वेद चिकित्सा दोनों की शिक्षा दी जाती है।

संस्थान के 100 साल पूरे होने के अवसर को पूरे साल मनाया जाएगा। वहीं, आयुष विभाग के निदेशक राज के मनचंदा ने कहा कि यूनानी दवा पद्धति 89 देशों में प्रचलित है। हमें देखना होगा कि इस कॉलेज का प्रभाव इन देशों में पड़ रहा है कि नहीं। अगर नहीं तो हमें उस दिशा में काम करना होगा, ताकि यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाए। 

इस दौरान अजमल खां के पड़पोते मसरूर अहमद खां ने कहा कि उनका इस कॉलेज से संबंध रूहानी है। इसे यूनानी व आयुर्वेद के अलग-अलग नजरिये से न देखा जाए। अगर अजमल खां ऐसा मानते तो कॉलेज के नाम में यूनानी के आगे आयुर्वेद न लगाते। आयुर्वेद व यूनानी उनकी दो आंखें थी।

अब जरूरत है कि इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए। इसके पहले कॉलेज के प्राचार्य मुहम्मद जुबैर ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर शिक्षा, खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया। 


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