Delhi News: असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में नीली झील को फिर से किया जाएगा विकसित, मिलेंगी ये नई सुविधाएं
इस बात का विशेष खयाल रखा जाना चाहिए कि पुनर्विकास के चलते जीवों के निवास पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और न ही उन पर किसी तरह का कोई अतिक्रमण किया जाए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वन विभाग के अधिकारियों ने असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में नीली झील को पुनर्विकसित करने की बात कही है। इसके तहत झील के आसपास ग्रास एंफिथियेटर, बायो टायलेट्स, नेचर ट्रेल और ई-वेहिकल्स की व्यवस्था भी जाएगी। फिलहाल, अभी ये झील जंगली घासों व अन्य पेड़-पौधों की वजह से अभयारण्य में ही छिपी हुई है। इसके लिए वन विभाग सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग के विशेषज्ञ इंजीनियरों की मदद लेगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पुनर्विकास का यह कार्य एक माह के भीतर शुरू कर दिया जाएगा। असोला भाटी माइंस में 35 साल पहले बंद हुए खोदाई के कार्य से वहां दशकों पहले गहरे गड्ढे हो गए थे, जिनमें स्वच्छ नीला जल भरकर नीली झील का रूप दे दिया गया। ये झील अभयारण्य के मुख्य द्वार से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। अधिकारियों के अनुसार, ग्रास एंफिथियेटर के चारों ओर सुंदर चट्टानें भी लगाई जाएंगी, वहीं जब तक विभाग ई-वेहिकल्स नहीं खरीद लेता तब तक लोग झील के आसपास निजी वाहनों से घूम सकेंगे।
इसके अलावा ऊबड़-खाबड़ और कच्चे रास्तों पर झील तक साइनेज बोर्ड भी लगाए जाएंगे। बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के दिल्ली प्रमुख सोहेल मदान ने बताया कि नीली झील अभयारण्यवासी जानवरों के लिए पेयजल का प्राथमिक स्त्रोत है। यहां तेंदुए, सियार, नीलगाय, बंदर और नेवले इत्यादि पानी पीने के लिए आते हैं और वे पेयजल के लिए इसी झील पर निर्भर हैं। इस बात का विशेष खयाल रखा जाना चाहिए कि पुनर्विकास के चलते जीवों के निवास पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और न ही उन पर किसी तरह का कोई अतिक्रमण किया जाए।
स्कूलों को गर्मी और लू के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी
राजधानी में बढ़ते तापमान के बीच शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को गर्मी और लू के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। निदेशालय ने इस संबंध में परिपत्र जारी कर कहा कि सभी स्कूल शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करे। इसमें स्कूल का समय कम करने, स्कूल वाहन में क्षमता से ज्यादा छात्र नहीं बैठाने, छात्रों को पानी की बोतलें, टोपी और छतरियां लेकर स्कूल आने की सलाह दी गई है।
वहीं, गर्मी से बच्चों को बचाने के लिए स्कूलों को वर्दी के नियमों में भी छूट देने को कहा है। इसमें छात्रों को ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनने की अनुमति देने की बात कही है।साथ ही स्कूलों में प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं जैसे हल्के हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए ओआरएस या नमक और चीनी के घोल के पाउच स्कूलों में उपलब्ध होने की बात कही है।