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Delhi News: इन हादसों के बाद अब तो कम से कम नए अवैध निर्माणों पर लगाई जाए रोक, न हों हादसे

चाहे दिल्ली हो या एनसीआर हर जगह दो तरह के क्षेत्र हैं। एक नियोजित और दूसरा अनियोजित। जहां तक नियोजित क्षेत्र की बात है जैसे गाजियाबाद नोएडा ग्रेटर नोएडा.. यहां पर विकास एजेंसी का सीधा हस्तक्षेप है। नक्शा पास कराए बगैर यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 01:17 PM (IST)
Delhi News: इन हादसों के बाद अब तो कम से कम नए अवैध निर्माणों पर लगाई जाए रोक, न हों हादसे
नक्शा पास कराए बगैर यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता।

नई दिल्ली, संजीव गुप्ता।  चाहे दिल्ली हो या एनसीआर हर जगह दो तरह के क्षेत्र हैं। एक नियोजित और दूसरा अनियोजित। जहां तक नियोजित क्षेत्र की बात है जैसे गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा.. यहां पर विकास एजेंसी का सीधा हस्तक्षेप है। नक्शा पास कराए बगैर यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता। नक्शा पास करने की जिम्मेदारी वहां के स्थानीय निकाय की होती है।

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यदि कोई निजी भवन है या कोई अपना घर बना रहा है तब तो कोई समस्या नहीं, लेकिन अगर एरिया 500 मीटर से ज्यादा होगा अथवा उसमें आठ या इससे ज्यादा यूनिट होंगी तो वहां पर रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम (रेरा) का पंजीकरण भी अनिवार्य होगा। भवन निर्माण में अनियोजित क्षेत्रों में समस्या हो रही है। मतलब लाल डोरा की जमीन और गांवों के इलाके में। लाल डोरा क्षेत्र दिल्ली में भी है और एनसीआर में भी। इन इलाकों में किसी तरह का कोई नियम कायदा देखने को नहीं मिलता। यहां दो सौ मीटर जगह पर आठ-आठ मंजिला इमारत बन जाती है। लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।

बगैर नक्शा न हो निर्माण :

मुराद नगर की जिम्मेदारी तो सीधे नगर पालिका की है। इसीलिए वहां गिरफ्तारी भी हो गई और कड़ी कार्रवाई भी कर दी गई। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) भी लगा दिया गया। यह अच्छा उदाहरण साबित होगा। इस कार्रवाई का असर कम से कम उत्तर प्रदेश में तो निश्चित तौर पर बड़े स्तर पर देखने को मिलेगा। लेकिन गांवों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए। वहां भी बगैर नक्शा पास हुए कोई निर्माण नहीं होने दिया जाए। तत्काल प्रभाव से अवैध निर्माण पर रोक लगनी चाहिए। पुराने अवैध निर्माण को लेकर भी सर्वे होना चाहिए। मेरा मानना है कि जो इमारतें बन चुकी हैं, जो कालोनियां बस चुकी हैं उन्हें न छेड़कर अगर आगे के लिए ही इन पर रोक लगा दी जाए तो वह भी पर्याप्त होगा। स्थानीय स्तर पर एक निशान लगा दिया जाए कि इस रेखा से आगे कोई भी निर्माण प्रतिबंधित होगा। निर्माण कार्य के मानक भी सख्ती से लागू किए जाएं। 

(बलविंदर कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष,दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए)।

पुलिस और अधिकारियों की मिलीभगत है समस्या

सरकार को चाहिए कि नियमों से परे जो निर्माण कार्य हो चुके हैं उन्हें एक साइड कर कम से कम नए अवैध निर्माण नहीं होने दे। साथ ही यह तय करना होगा कि बिना लिखित अनुमति के लाल डोरा क्षेत्र में भी कोई अवैध निर्माण न हो सके। अनियोजित क्षेत्र में ही भ्रष्टाचार की जड़ें सर्वाधिक गहरी हैं।

यहां स्थानीय अधिकारियों से मिलीभगत कर लोग जैसे चाहें वैसे अवैध निर्माण कर लेते हैं, हालांकि ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य पर रोक नहीं लग सकती। लग तो सकती है लेकिन पुलिस और स्थानीय अधिकारी मिलीभगत से अपनी जेबें गर्म कर सब कुछ होने देते हैं। 

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