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Delhi News: साल 2014 के बाद मकानों पर लटकी तलवार, करीब 50 हजार मकान होंगे प्रभावित

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कानूनों (विशेष प्रविधानों) के दूसरे अधिनियम 2011 को फिर से बढ़ाने का फैसला किया है। इसे अब 2023 तक बढ़ाया जा रहा है। इससे अनधिकृत कालोनियों के उन मकानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा जो 2014 के बाद के बने हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 12:43 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 12:43 PM (IST)
अनधिकृत कालोनियों के नियमन के लिए कानून की मियाद तीन साल बढ़ाने का रखा गया है प्रस्ताव।

वीके शुक्ला,नई दिल्ली। अनधिकृत कालोनियों के नियमन को लेकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कानूनों (विशेष प्रविधानों) के दूसरे अधिनियम, 2011 को फिर से बढ़ाने का फैसला किया है। इसे अब 2023 तक बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, इससे अनधिकृत कालोनियों के उन मकानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा, जो 2014 के बाद के बने हैं। क्योंकि, कानून में कट ऑफ डेट नहीं बढ़ाई गई है।

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इस मामले के जानकारों का कहना है कि जब कानून की मियाद तीन साल के लिए बढ़ाई जा रही है, तो कट ऑफ डेट भी बढ़ाई जानी चाहिए। ऐसा नहीं किया गया तो दिल्ली में 50 हजार से अधिक मकानों पर तलवार लटकी रहेगी। केंद्र सरकार ने 2007 में अनधिकृत कालोनियों, झुग्गियों व पुरानी दिल्ली के वॉल सिटी एरिया को तोड़फोड़ से बचाने के लिए यह कानून पेश किया था। उस समय कट ऑफ डेट 2002 रखी गई थी। इसके बाद इस कानून को एक- एक साल के लिए बढ़ाया जाता रहा, लेकिन 2011 में इसे एक साल की जगह तीन तीन साल का विस्तार दिए जाने का प्रविधान किया गया।

बाद में 2014 में जब मोदी सरकार आई तो इस कानून के तहत कट ऑफ डेट दिसंबर, 2014 कर दी गई। यानी दिसंबर 2014 तक बने मकानों पर एक तरह से तोड़फोड़ पर रोक लगा दी गई। इसके बाद से तीन-तीन साल के लिए इस कानून को विस्तार दिया जा रहा है, लेकिन कट ऑफ डेट नहीं बढ़ाई गई है। यह कानून 31 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो गया था जिसे तीन साल बढ़ाकर अब 2023 तक किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया है।

हालांकि, इस प्रस्ताव में कट ऑफ डेट 2014 ही है। एकीकृत नगर निगम में निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश मुंमगई कहते हैं कि ऐसा लगता है कि कानून को जल्दबाजी में विस्तार दिया जा रहा है। कट ऑफ डेट पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून अब केवल अनधिकृत कालोनियों के लिए ही रह गया है। मगर इससे 2014 के बाद बने मकानों पर संकट रहेगा। वह कहते हैं कि अगर 50 हजार मकान भी मान लें तो इससे कम से कम 10 लाख लोग प्रभावित होंगे। 


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