दिल्ली नगर निगम चुनाव में आरक्षित सीटें बदलने के आसार, पढ़िए किस पार्टी को होगा नफा-नुकसान
राजधानी में अप्रैल में होने वाले तीनों नगर निगमों के चुनाव से पूर्व आरक्षित सीटों में होने वाले बदलाव की खबर से सभी दलों के पार्षदों की धड़कनें बढ़ गई हैं। सीटों का आरक्षण बदलता है तो उनकी सीट खतरे में आ सकती है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राजधानी में अप्रैल में होने वाले तीनों नगर निगमों के चुनाव से पूर्व आरक्षित सीटों में होने वाले बदलाव की खबर से सभी दलों के पार्षदों की धड़कनें बढ़ गई हैं। सीटों का आरक्षण बदलता है तो उनकी सीट खतरे में आ सकती है। इस खबर से सबसे ज्यादा डर भाजपा के पार्षदों को है, क्योंकि 2017 के निगम चुनाव में तीनों नगर निगमों में भाजपा के ही सर्वाधिक पार्षद जीते थे। ऐसे में आरक्षित सीटों में बदलाव होता है तो सर्वाधिक नुकसान भाजपा के पार्षदों को ही होगा। हालांकि भाजपा को इससे लाभ होगा।
दरअसल, बीते बुधवार को राज्य चुनाव आयोग में सर्वदलीय बैठक हुई थी। इस बैठक में सीटों के आरक्षण में बदलाव को लेकर तीनों दलों से सोमवार तक सुझाव मांगे गए थे। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग 10 दिन के भीतर सीटों के आरक्षण में बदलाव का आदेश जारी कर देगा। अगर, भाजपा ने पूर्वी निगम में कुल 64 में 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें अनुसूचित जाति के लिए कुल 11 सीटें आरक्षित थीं, जिसमें से सात सीटों पर भाजपा के पार्षदों ने जीत हासिल की थी।
इसी तरह उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 104 सीटों में से 20 आरक्षित थीं, जिसमें छह सीटों पर भाजपा के पार्षद जीते थे। बाकी 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के पार्षद जीते थे। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की भी 104 आरक्षित सीटों में से 20 सीट आरक्षित थीं, जिसमें आठ सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीते। भाजपा को ऐसे होगा लाभ: वर्ष 2017 के चुनाव से पूर्व भाजपा ने सभी पार्षदों के टिकट काट दिए थे और नए चेहरों को मैदान में उतारा था।
इसका यह लाभ हुआ कि दो बार से लगातार सत्ता में होने के बाद जो सत्ता विरोधी रुझान था वह खत्म हो गया। यही वजह रही कि भाजपा ने 272 सीटों में पहली बार सर्वाधिक 181 सीटों पर जीत मिली थी। अब आरक्षण बदलने से कई पार्षद अपने आप ही चुनावी दौड़ से बाहर हो जाएंगे। भाजपा इन सीटों पर नए उम्मीदवार उतारेगी, जिससे भाजपा को लाभ मिलने की उम्मीद है।
आरक्षित सीटों के साथ सामान्य सीट भी हो सकती हैं महिला: निगम के कानून के तहत हर पांच वर्ष में सीटों पर आरक्षण में बदलाव होता है। निगम में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू है। जो सीटें पिछली बार सामान्य थीं, वे महिला के लिए आरक्षित हो सकती हैं और महिला के आरक्षित सीट सामान्य के लिए। इसी तरह अनुसूचित जाति श्रेणी में जो सीट महिला के लिए आरक्षित थी वह अनुसूचित जाति सामान्य हो सकती है। अनुसूचित जाति सामान्य वाली सीट इसी श्रेणी की महिला के लिए आरक्षित हो जाएगी।