प्रदूषण रोकने के लिए UP-हरियाणा और पंजाब गंभीर नहीं, दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में लगाए गंभीर आरोप
निर्माण स्थलों पर धूल उड़ने से नहीं रोकने वालों के खिलाफ चालान किए जा रहे हैं। सड़कों पर धूल उड़ने से रोकने के लिए मैकेनिकल स्वीपंिंग यानी मशीनों से सफाई की जाएगी। सड़कों के गड्ढे भी भरे जाएंगे। सभी एजेंसियों को निर्देश दे दिए गए हैं।
नई दिल्ली। मौसम में बदलाव के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की हवा भी बदल गई है। करीब तीन माह से अच्छी या संतोषजनक श्रेणी में चल रही हवा कुछ दिन से खराब श्रेणी में आ गई है। मौसम विभाग एवं सफर इंडिया का पूर्वानुमान है कि जैसे-जैसे हवा में नमी बढ़ेगी, वायु प्रदूषण में भी इजाफा होता जाएगा। इसी के मद्देनजर 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से जंग के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी लागू होने जा रहा है। प्रदूषण से जंग में इस साल दिल्ली सरकार ने भी गंभीर रुख अपनाते हुए युद्ध-प्रदूषण के विरुद्ध अभियान शुरू किया है। इस पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय से संजीव गुप्ता ने विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :
युद्ध-प्रदूषण के विरुद्ध अभियान के तहत प्रदूषण की रोकथाम कैसे होगी?
- इस अभियान के तहत पूरे सीजन प्रदूषण से जंग जारी रहेगी। इस जंग में दिल्ली के सभी विभाग मिलकर वायु प्रदूषण कम करने के लिए काम करेंगे। सचिवालय में एक ग्रीन वार रूम शुरू कर दिया गया है। यहां से सभी गतिविधियों की निगरानी की जाएगी। बहुत जल्द ‘ग्रीन दिल्ली एप’ लांच किया जाएगा। इस पर कोई भी व्यक्ति प्रदूषण से संबंधित शिकायत कर सकेगा। हर शिकायत पर कार्रवाई के लिए समय सीमा तय होगी। इसके अलावा ‘एंटी डस्ट कैंपेन’ शुरू किया गया है। निर्माण स्थलों पर धूल उड़ने से नहीं रोकने वालों के खिलाफ चालान किए जा रहे हैं। सड़कों पर धूल उड़ने से रोकने के लिए मैकेनिकल स्वीपंिंग यानी मशीनों से सफाई की जाएगी। सड़कों के गड्ढे भी भरे जाएंगे। सभी एजेंसियों को निर्देश दे दिए गए हैं। बड़े स्तर पर जगह-जगह एंटी स्मॉग गन लगाई जाएगी।
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के रोल पर क्या कहेंगे?
- दिल्ली के प्रदूषण में पराली का ही सबसे बड़ा रोल है। पिछले साल भी सर्दी के दिनों में प्रदूषण में पराली के धुएं की 44 फीसद तक हिस्सेदारी रही थी। बावजूद इसके पड़ोसी राज्य इसकी रोकथाम के लिए गंभीर नजर नहीं आते। अगर हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जरा भी गंभीर होते तो इस साल इन मामलों में तीन से नौ फीसद की वृद्धि नहीं होती। विडंबना यह कि दिल्ली तो प्रदूषण की रोकथाम के लिए सब कुछ कर रही है, लेकिन पड़ोसी राज्य जरा भी गंभीर नजर नहीं आते।
कहा जाता है कि दिल्ली के प्रदूषण में स्थानीय कारकों का भी बड़ा योगदान है?
- दिल्ली के प्रदूषण में थोड़ा-बहुत योगदान स्थानीय कारकों का भी है, लेकिन बड़ी भूमिका बाहरी ही है। दरअसल, विशेषज्ञों ने भी स्वीकार किया है कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में एक एयर शेड है। इस दायरे की हर गतिविधि का खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एनसीआर क्षेत्र में करीब एक दर्जन कोयला आधारित बिजली संयंत्र चल रहे हैं और हवा में जहर घोल रहे हैं।
औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण पर किस हद तक लगाम लगी है?
- औद्योगिक प्रदूषण पर काफी हद तक लगाम लगाई जा चुकी है। जितनी भी फैक्टियां प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन से चल रही थीं, सभी को स्वच्छ ईंधन पीएनजी पर शिफ्ट कर दिया गया है। अब केवल 122 फैक्टियां ही बची हैं, उन्हें भी जल्द पीएनजी पर ले आया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए जो ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लाई गई है, वह कितनी व्यावहारिक है?
- देखिए, ट्रांसप्लांटेशन के तहत पेड़ को नीचे से वैज्ञानिक तरीके से उखाड़ कर और केमिकल का इस्तेमाल करके ट्रक में डालकर दूसरी जगह लगाया जाता है। दिल्ली सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने वाली एजेंसियों का पैनल भी बना रही है। संबंधित विभाग इनमें से किसी भी एजेंसी से काम करा सकेंगे। ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 फीसद से कम जीवित होने पर उस एजेंसी के भुगतान में कटौती भी की जाएगी।
कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद अब प्रदूषण के मद्देनजर किसी भी तरह के प्रतिबंध कितने व्यावहारिक होंगे?
- यह सही है कि लॉकडाउन के दौरान लंबे समय तक सब कुछ बंद रहा। इससे अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान हुआ है। अब तक भी गाड़ी पूरी तरह पटरी पर नहीं आई है। ऐसे में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कुछ भी बंद करने से पहले हर पहलू पर विचार किया जाएगा और उसके बाद ही फैसला लिया जाएगा।
दिल्ली के 13 हॉट स्पॉट के प्रदूषण से कैसे निपटा जाएगा?
- इन हॉट स्पॉट में भी प्रदूषित कॉलोनी/जगह की अलग पहचान की गई है। साथ ही इन जगहों पर प्रदूषण के कारणों का पता लगाया गया है। इसके अनुसार ही सभी हॉट स्पॉट के लिए प्रदूषण रोकने की अलग योजना बनाई गई है, जिसे सभी जगह प्रदूषण कम करने के लिए लागू किया जा रहा है।
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