Delhi Metro: 2 साल के भीतर बदल जाएगा दिल्ली मेट्रो की ट्रेनों का रूप रंग, चल रही बड़ी तैयारी
Delhi Metro योजना के तहत 70 मेट्रो के 280 कोचों का नवीनीकरण किया जाएगा। इस योजना पर करीब 71 करोड़ खर्च होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Metro : पुरानी मेट्रो ट्रेनें समय के साथ रंगत खोती जा रही हैं। कई मेट्रो में एसी से पानी टपकने की समस्या है, तो कुछ का फर्श खराब होने लगा है। इसके मद्देनजर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) ने पुरानी मेट्रो के नवीनीकरण की तैयारी की है। इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस योजना के तहत 70 मेट्रो के 280 कोचों का नवीनीकरण किया जाएगा। इस योजना पर करीब 71 करोड़ खर्च होगा। नवीनीकरण के बाद पुरानी मेट्रो ट्रेनें भी नई नवेली व अत्याधुनिक दिखेंगी। साथ ही मेट्रो में तकनीकी समस्या भी काफी हद तक कम होगी।
डीएमआरसी के अनुसार वर्ष 2002 में रोलिंग स्टॉक-1 के अनुबंध के तहत 280 कोच के साथ 70 मेट्रो खरीदी गई थी। ये मेट्रो चार कोच की थीं। इनके उपयोग की अवधि 30 साल है, जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हो चुकी हैं। ये मेट्रो ट्रेनें मुख्य रूप से रेड लाइन (रिठाला-दिलशाद गार्डन- नया बस अड्डा गाजियाबाद) व ब्लू लाइन (द्वारका सेक्टर 21-नोएडा/वैशाली) पर रफ्तार भर रही हैं। इनके कोच में कई तरह की समस्याएं देखी जा रही हैं। आने वाले दिनों में इनमें तकनीकी खराबी की समस्या भी बढ़ सकती है। इसलिए डीएमआरसी ने इन मेट्रो ट्रेनों के कोचों का नवीनीकरण कराने का फैसला किया है। इसके तहत सभी 280 कोच में नए सिरे से पेंटिंग की जाएगी।
40 कोच में फर्श भी ठीक होगा
मेट्रो के 40 कोच में फर्श को ठीक किए जाने की जरूरत है। यह कार्य इन मेट्रो ट्रेनों का निर्माण करने वाली मूल कंपनी की मदद से होगा। इसके अलावा सभी 70 मेट्रो के गैंगवे (दो कोचों के बीच का हिस्सा) पुराना पड़ चुका है। ऐसे 420 गैंगवे को बदला जाएगा। इसके अलावा इनमें 1120 सेकेंडरी सस्पेंशन नामक उपकरणों को भी बदला जाएगा। इससे मेट्रो में आने वाली तकनीकी खराबी की समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी।
डीएमआरसी का कहना है कि नवीनीकरण का यह कार्य दो साल में पूरा होगा। दरअसल, रेड लाइन का नेटवर्क बढ़कर गाजियाबाद नया बस अड्डा तक हो गया है। वहीं ब्लू लाइन का नेटवर्क भी नोएडा सिटी सेंटर से बढ़कर इलेक्ट्रॉनिक सिटी तक पहुंच चुका है। इसलिए मेट्रो में यात्रियों के दबाव के मद्देनजर ट्रेनों की जरूरतों को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से नवीनीकरण का काम होगा।