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Delhi Medical Oxygen: केंद्र ने दिया था ऑक्सीजन प्लांट लगाने को फंड, प्लांट लगाने के लिए अस्पताल नहीं खोज पाए अब तक जगह

Delhi Medical Oxygen एक साल बीतने के बाद आप सरकार ने खुद से कोई आक्सीजन प्लांट लगाने के बारे में सोचा और ना ही केंद्र सरकार की पहल पर गंभीरता दिखाई। दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दी गई जानकारी में यह बात सच्चाई उजागर हुई है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 11:56 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 11:56 AM (IST)
Delhi Medical Oxygen: केंद्र ने दिया था ऑक्सीजन प्लांट लगाने को फंड, प्लांट लगाने के लिए अस्पताल नहीं खोज पाए अब तक जगह
केंद्र ने आक्सीजन उत्पादन प्लांट लगाने के लिए गत वर्ष दिसंबर में जारी किया था फंड।

नई दिल्ली, [संजीव गुप्ता]। Delhi Medical Oxygen: कोरोना महामारी से निपटने को लेकर आप सरकार कितनी गंभीर है, इसकी एक और बानगी सामने आई है।

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दरअसल, केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच आक्सीजन को लेकर सियासी घमासान मचा है। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट भी मामले को गंभीरता से लेकर इस पर रोज सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. निपुण विनायक की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने कोरोना महामारी के हालात को देखते हुए दिसंबर 2020 में देशभर में आक्सीजन उत्पादन के लिए पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसा‌र्प्शन) प्लांट के लिए फंड जारी किया था। इसके तहत दिल्ली में भी आठ प्लांट लगाए जाने थे, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसके क्रियान्वयन को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया।

उदासीनता का आलम यह है कि अब तक सिर्फ दो अस्पतालों में पीएसए प्लांट लगाने के लिए साइट क्लीयरेंस मिला है। यहां पर 30 अप्रैल तक उपकरण लगाकर प्लांट शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा सत्यवादी राजा हरीशचंद्र अस्पताल और वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज एवं सफदरजंग अस्पताल में अभी तक साइट क्लीयरेंस नहीं मिल पाया है। अन्य प्लांटों को लेकर भी फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति है। इस स्थिति पर हाई कोर्ट ने भी नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार को सक्रियता बढ़ाने और केंद्र सरकार को पूर्ण सहयोग करने का आदेश दिया है।

क्या है पीएसए प्लांट

इस प्लांट के जरिये वातावरण में मौजूद हवा को सोखकर उसमें मौजूद गंदगी को साफ किया जाता है। इसके बाद जियोलाइट केमिकल के जरिये नाइट्रोजन और आक्सीजन को पृथक किया जाता है। नाइट्रोजन को वापस वातावरण में छोड़ दिया जाता है जबकि आक्सीजन को पाइप लाइन या सिलेंडर के जरिये सीधे मरीजों तक पहुंचाया जा सकता है।

मेडिकल आक्सीजन पर 12 फीसद जीएसटी की मार

मेडिकल आक्सीजन पर सरकार 12 फीसद जीएसटी भी वसूलती है। एक तो लोगों को आक्सीजन सिलेंडर मिल नहीं रहे। अगर मिल भी रहे हैं तो उस पर जेब भी कहीं ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है। दिल्ली विधानसभा और दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने शनिवार शाम ट्वीट करके सरकार से मांग की है कि इस मुददे पर एक आपातकालीन बैठक बुलाकर मेडिकल आक्सीजन सहित कोरोना के उपचार से जुड़ी सभी दवाओं और उपकरणों को जीएसटी से मुक्त किया जाए।

भाजपा ने भी केजरीवाल सरकार को घेरा

आक्सीजन उत्पादन प्लांट को लेकर दिल्ली सरकार चारों ओर से घिरती जा रही है। भाजपा के आइटी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीय ने भी ट्वीट कर दिल्ली में आक्सीजन की कमी के लिए केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया है। इस ट्वीट में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हाई कोर्ट में केंद्र के इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सकी कि ये पीएसए प्लांट क्यों नहीं शुरू हो पाए।


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