मथुरा रोड पर आश्रम अंडरपास जल्द होगा चालू, लाखों लोगों को मिलेगी राहत
दक्षिणी दिल्ली आश्रम चौक से रोज आने-जाने वाले लाखों लोगों को जल्द राहत मिलने वाली है। मथुरा रोड पर बन रहे आश्रम अंडरपास का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। उम्मीद है कि अगले माह यानी फरवरी से इसे यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। दक्षिणी दिल्ली आश्रम चौक से रोज आने-जाने वाले लाखों लोगों को जल्द राहत मिलने वाली है। मथुरा रोड पर बन रहे आश्रम अंडरपास का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। उम्मीद है कि अगले माह, यानी फरवरी से इसे यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। अंडरपास का काम अंतिम चरण में है। इसकी दोनों ओर की सड़कें बनाई जा रही हैं। इसकी वह दीवार भी दोबारा बना दी गई है जिसे मेट्रो की अंडरग्राउंड दीवार के सामने आ जाने पर तोड़ना पड़ा था। प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि काफी तेजी से काम चल रहा है। अगले माह की शुरुआत में इसके चालू हो जाने की उम्मीद है।
दरअसल, मध्य और दक्षिणी दिल्ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाला आश्रम चौक मथुरा रोड और रिंग रोड (लाजपत नगर-सराय काले खां और डीएनडी) को जोड़ता है। निर्माणाधीन अंडरपास के कारण लगने वाले जाम से आसपास की सिद्धार्थ एक्सटेंशन, कालिंदी कालोनी, अमर कालोनी, लाजपत नगर, आश्रम, किलोकरी गांव, न्यू फ्रेंड्स कालोनी, नेहरू नगर, फ्रेंड्स कालोनी ईस्ट के लाखों लोगों को परेशानी होती है। मुख्य मार्ग पर जाम के कारण राहगीर शार्टकट के चक्कर में इन कालोनियों में घुस जाते हैं। अंडरपास चालू हो जाने से राहगीरों के साथ ही इन कालोनियों में रहने वालों को भी राहत मिलेगी।
ऐसे बढ़ती गई डेडलाइन : मथुरा रोड पर बन रहे करीब 78 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले इस 750 मीटर लंबे अंडरपास की आधारशिला 24 दिसंबर, 2019 को रखी गई थी। दिसंबर 2020 तक काम पूरा करना था, लेकिन बार-बार काम रुकने से इसकी समय-सीमा बढ़ाकर मार्च 2021, जून 2021 और अगस्त 21 की गई। सितंबर 2021 में बिजली की केबल आ जाने के कारण और देरी हुई। फिर अक्टूबर में ड्राइंग में खामी के कारण अंडरपास की एक दीवार यहां से गुजर रही अंडरग्राउंड मेट्रो की दीवार के सामने आ गई थी जिसे तोड़कर दोबारा बनाना पड़ा। इससे काम दो-तीन माह और बढ़ गया।
दिसंबर 2019 में जब से काम शुरू हुआ, तो कोरोना के कारण दो बार लाकडाउन लग गया। पहली लहर में काम बंद रहा जिससे पहली समय सीमा पार हो गई। दूसरी लहर में कामगारों की कमी और निर्माण सामग्री न मिल पाने से काम प्रभावित हुआ। इस दौरान कच्चा माल की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों और विभाग के अधिकारी भी संक्रमित हो गए थे।