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Delhi: गीले कूड़े से बनाई जा रही खाद, निगम अपने पार्कों में कर रहा प्रयोग, जानिए कहां हो रहा काम

स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर स्थान प्राप्त करने के लिए पूर्वी निगम की तरफ से लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसके तहत गीला और सूखा कूड़ा का अलग-अलग निस्तारण किया जा रहा है। करीब एक साल के प्रयास ने कुछ रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 02:42 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 09:26 AM (IST)
Delhi: गीले कूड़े से बनाई जा रही खाद, निगम अपने पार्कों में कर रहा प्रयोग, जानिए कहां हो रहा काम
पूर्वी दिल्ली स्थित कंपोस्टर प्लांट में गीले कूड़े से तैयार खाद। सौजन्य - निगम

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर स्थान प्राप्त करने के लिए पूर्वी निगम की तरफ से लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसके तहत गीला और सूखा कूड़ा का अलग-अलग निस्तारण किया जा रहा है। करीब एक साल के प्रयास ने कुछ रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं।

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पिछले एक साल में पूर्वी निगम अपने क्षेत्र में नौ कंपोस्टर प्लांट लगा चुका है। एक साल में इन नौ प्लांट में 2300 टन गीले कूड़ा का निस्तारण हो चुका है और इससे तीन सौ टन खाद बन चुकी है। इस खाद का प्रयोग निगम फिलहाल अपने पार्को में कर रहा है। 

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि नवंबर 2019 में पहला प्लांट लगाया गया था। प्लांट में एक मशीन होती है जो गीले कूड़े का निस्तारण करती है। इसकी क्षमता प्रतिदिन एक टन कूड़ा निस्तारण की होती है। धीरे-धीरे अन्य जगहों पर इन्हें लगाना शुरू किया गया। कोरोना के चलते कुछ समय तक काम बंद रहा। लेकिन जनवरी, 2021 तक इन नौ प्लांट में तीन सौ टन खाद हो तैयार हो चुकी है, जो अच्छे संकेत हैं। पूर्वी निगम की योजना अगले एक महीने में तीन अन्य जगहों पर कंस्पोस्टर प्लांट लगाने की है।

अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी निगम विकेंद्रित अपशिष्ट प्रबंधन पर अधिक जोर दे रहा है। गीले कूड़े का निस्तारण वार्ड में ही करने के तहत ये छोटे-छोटे प्लांट लगाए जा रहे हैं। अभी तक त्रिलोकपुरी, उस्मानपुर, खेड़ा गांव, सैनी एन्क्लेव, प्रीत विहार, मयूर विहार, ङिालमिल, त्रिलोकपुरी, सुंदर नगरी में कंपोस्टर प्लांट संतोषजनक रूप से कार्य कर रहे हैं जबकि गोकलपुर, न्यू अशोक नगर और विश्वास नगर में इसे लगाया जाना है।

अपशिष्ट प्रबंधन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूर्वी निगम की तरफ से सु-धारा योजना भी चलाई जा रही है। इसके तहत मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों के मलबे से गुलाल और खाद बनाने का कार्य भी किया जा रहा है। साथ ही कई वाडरें में घर-घर से अलग-अलग कूड़ा उठाया जा रहा है। इससे न केवल कूड़े का प्रबंधन सुधर रहा है बल्कि पर्यावरण भी बेहतर हो रहा है। अधिकारियों का मानना है कि बेहतर कूड़ा प्रबंधन के लिए कूड़े को स्नोत पर ही अलग-अलग करना जरूरी है। 


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