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Delhi Lockdown News: लॉकडाउन से कोरोना की चेन तोड़ना मुश्किल- प्रोफेसर अनीश गुप्ता

Delhi Lockdown News लोगों को जागरूक करना होगा कि शारीरिक दूरी का पालन अनिवार्य है। मास्क पहनकर कोरोना को मात दिया जा सकता है। यदि लोग जागरूक हो गए और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने लगे तो हम आसानी से कोरोना की चेन तोड़ने में सफल हो पाएंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 10:55 AM (IST)
Delhi Lockdown News: लॉकडाउन से कोरोना की चेन तोड़ना मुश्किल- प्रोफेसर अनीश गुप्ता
लाकडाउन ना लगाकार बाजारों को खोला जाए।

नई दिल्ली, संजीव कुमार मिश्र। Delhi Lockdown News मेरी व्यक्तिगत राय तो यही है कि लाकडाउन से कोरोना को कभी रोका नहीं जा सकता। गत वर्ष लाकडाउन जरूर लगाया गया लेकिन प्रशासन और खुद सरकार इसे लेकर बहुत स्पष्ट नहीं थी। चूंकि पहली बार इस तरह की परिस्थिति सरकार के समकक्ष आयी थी, इसलिए लगाना पड़ा। कोरोना संक्रमण कैसे फैलता है? स्वाभाविक है निकटतम संपर्क से। लोग एक दूसरे के निकट संपर्क में आएंगे तो संक्रमण तेजी से फैलेगा। लोग एक दूसरे के संपर्क में ना आए, इसलिए सरकार ने लाकडाउन लगाया। लेकिन हमारे यहां हुआ क्या।

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लाकडाउन के नाम पर दिन में दो घंटे तो कभी सप्ताहांत तो कभी शराब के ठेके खोलने के नाम पर ढील दे दी जाती है। अब यदि दुकानें खुलेंगी तो भीड़ तो होगा ही। फिर चाहे वो दो ही घंटे के लिए खोलिए। यानी भीड़ को रोकने के उद्देश्य से लगाया लाकडाउन अपने निहित लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सका। उलटा, लाकडाउन की वजह से पुलिस चेकिंग के नाम पर सड़क पर भीड़ एकत्र होने लगती है। बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करने लगते हैं।

गत वर्ष हम सभी ने देखा कि कैसे बड़ी संख्या में दिल्ली से लोग अपने अपने घर जाने के लिए निकले। आनंद विहार अड्डे पर हजारों की भीड़ लगी थी। यह भीड़ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना संक्रमण फैलने का कारण भी तो बन सकती है? इस बार सरकार ने कफ्र्यू शब्द प्रयोग किया। लेकिन क‌र्फ्य लगते ही दिल्ली की कई कालोनियों के गेट बंद हो गए। कालोनी के लोग नहीं चाहते कि उनकी कालोनी से होकर लोग गुजरे। उनहे डर है कि इससे कोरोना फैलेगा। अब एक मार्ग बंद होता है तो स्वाभाविक है कि किसी अन्य मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ता है। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ता है।

इसलिए मेरी राय यही है कि लाकडाउन ना लगाकार बाजारों को खोला जाए। ध्यान रखें, बाजार हमारी समस्या नहीं है,भीड़ है। हमें भीड़ पर नियंत्रण करना है, बाजार पर नहीं। भीड़ नियंत्रित करने के लिए इंस्टीट्यूशन, कंपनियों में वर्क फ्राम होम को लागू किया जाए।सरकारी कार्यालयों में आनलाइन काम को बढ़ावा दिया जाए। 25 फीसद स्टाफ ही कार्यालय आए, बाकि वर्क फ्राम होम करे। स्कूल, कालेज में जहां आनलाइन पढ़ाई कराई जा सकती है जरूर कराई जाए।

लाकडाउन से नौकरियों पर भी संकट गहरा जाता है। छोटे कारोंबार पर इसके दुष्परिणाम से हम सभी वाकिफ है। दिल्ली में क‌र्फ्य के प्रभाव को एक छोटे से उदाहरण से समझने में मदद मिलेगी। सीलमपुर, गांधीनगर समेत पूर्वी दिल्ली के कई इलाके में कपड़े का कारोबार होता है। यहां के कारीगर एक कमरा किराये पर लेते हैं और मिल-जुलकर रहते हैं। एक ही कमरे में दस से अधिक लोग रहते हैं। इन लोगों की शिफ्ट अलग अलग होती है। ये सिर्फ सोने के उद्देश्य से कमरा प्रयोग में लाते है। अब क‌र्फ्य में काम धंधा बंद है। एक कमरे में 10 से अधिक लोग है। यदि एक भी संक्रमित हुआ तो बाकि भी प्रभावित होंगे। इसलिए ये लोग डर के मारे गांव भागने की जुगत में लग जाते है। इनके जाने से कपड़ा ही नहीं अन्य बिजनेस भी प्रभावित होते हैं।

सरकार को चाहिए कि उद्योग धंधे चलने दे। सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि बेवजह की भीड़ ना हो। लोग घरों से यूं ही बस घूमने के लिए नहीं निकले। उनके पास वाजिब वजह हो। हमें भीड़ नियंत्रित करनी होगी। लोगों को जागरूक करना होगा कि शारीरिक दूरी का पालन अनिवार्य है। मास्क पहनकर कोरोना को मात दिया जा सकता है। यदि लोग जागरूक हो गए और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने लगे तो हम आसानी से कोरोना की चेन तोड़ने में सफल हो पाएंगे।

[दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स के प्रोफेसर अनीश गुप्ता से बातचीत पर आधारित आलेख]


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