गाजियाबाद के बाद दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण, जानें- कैसा है आपके शहर का हाल
EPCA को नरेला और बवाना में औद्योगिक कचरा जलता हुआ मिला था। इस पर वहां सुविधाएं मुहैया कराने वाली दोनों कंपनियों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। हर साल की तरह इस बार भी दीपावली से ठीक पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। हालांकि, पिछले दो दिन दिन में दिल्ली में प्रदूषण स्तर घटकर बेहद खराब से खराब की श्रेणी में आ गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये मौजूद स्थिति भी खतरनाक है। ये स्थिति भी ज्यादा दिनों तक बनी नहीं रहेगी। अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली जल्दी ही एक बार फिर से गैस चेंबर में तब्दील हो जाएगी।
मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोध पर पीएम-10 का स्तर 237 और पीएम-2.5 का स्तर 214 रहा। एयरक्वालिटी इंडेक्स के अनुसार दोनों की स्थिति खराब श्रेणी में है। उधर राजधानी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को देखते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने भी मंगलवार शाम को हाई लेवल मीटिंग बुलाई है। ये बैठक दिल्ली सचिवालय में शाम 5:45 बजे शुरू होगी।
माना जा रहा है कि बैठक में दिल्ली में लागू ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लेकर चर्चा होगी। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। इससे पहले सोमवार को भी पर्यावरण मंत्री ने सचिवालय में एक अहम बैठकर प्रदूषण से निपटने के निर्देश दिए थे।
इस बैठक में भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइटों पर आग लगने की घटनाएं रोकने के प्रयासों को लेकर समीक्षा बैठक की गई थी। इस बैठक में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली फायर सर्विसेज, पर्यावरण विभाग और तीनों नगर नगम के अधिकारी उपस्थित थे। हालांकि, बैठक में तीनों नगर निगम के आयुक्त अनुपस्थित थे।
सोमवार की बैठक में इमरान हुसैन ने कहा था कि एजेंसियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानीय कारणों से प्रदूषण न हो। मंत्री ने नगर निगमों को भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट पर कचरा बीनने वालों को जाने से रोकने के लिए दीवार खड़ी करने और हाईमास्ट लाइट लगाने को कहा था। पूर्वी दिल्ली नगर निगम की तरफ से बताया गया कि उनके द्वारा लैंडफिल साइट पर कचरा बीनने वालों को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
भलस्वा लैंडफिल साइट से बढ़ रहा प्रदूषण
भलस्वा लैंडफिल साइट को लेकर हर कोई चिंता तो व्यक्त कर रहा है, मगर वास्तविक धरातल पर कुछ होता नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि आए दिन यहां कूड़े में आग लगी रहती है। विडंबना यह कि जिम्मेदार एजेंसियों को अदालत से भी फटकार लग चुकी है। लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है। लोगों ने भी इसे लेकर आंदोलन किया। फिर भी भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़ा डालने का सिलसिला आज भी जारी है।
नतीजा, कूड़े के पहाड़ का रूप ले चुके इस लैंडफिल साइट के कारण लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है। मौसम में तब्दीली के साथ ही इस लैंडफिल साइट के कारण न केवल प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल तक नसीब नहीं हो पा रहा है। आसपास के इलाके के लोग सांस, जलजनित बीमारियों के साथ कई अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लैंडफिल साइटों की हालत व कूड़ा निस्तारण के मामले में ढुलमुल रवैये को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार को फटकार लगाई थी।
सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा यहां की आसपास की कॉलोनियों में कई बार सर्वे करवाया गया, जिसमें भलस्वा लैंडफिल साइट के आसपास बसी कलंदर कॉलोनी, बसंत दादा पाटिल नगर, विश्वनाथपुरी के साथ श्रद्धानंद कॉलोनी, पुनर्वासित कॉलोनी के लोगों को शामिल किया गया था। सर्वे रिपोर्ट में जो तथ्य उभर कर सामने आए, वह चिंताजनक रहे।
सर्वे में पाया गया कि इन कॉलोनियों में रहने वाले 90 फीसद लोग पेट, त्वचा, जोड़ों के दर्द, पीलिया, आंख, टाइफाइड जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। इन बीमारियों के कारणों का पता लगाने के लिए यहां के भूजल की भी प्रयोगशाला में जांच कराई गई। इसमें पाया गया कि पानी में आर्सेनिक समेत अन्य खतरनाक रासायनिक पदार्थ अन्य जगहों की तुलना में काफी ज्यादा हैं।
इतना ही नहीं लैंडफिल साइट से खतरनाक रासायनिक द्रव्यों का रिसाव जमीन के अंदर हो रहा है, जो भूजल स्तर को प्रदूषित कर रहे हैं, जिसे पीने के बाद लोग बीमार हो रहे हैं। दो दिन पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर जो रिपोर्ट जारी की, उसमें दिल्ली के दस स्थानों में से पांच इसी क्षेत्र में आते हैं, जिनमें रोहिणी, बवाना, पीतमपुरा आदि शामिल हैं। यह भलस्वा लैंडफिल साइट के दो-तीन से किलोमीटर के दायरे में बसे हैं।
औद्योगिक कचरा जलाने पर पहली बार ईपीसीए ने ठोका जुर्माना
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होने और बार-बार चेतावनी देने के बाद भी औद्योगिक कचरा जलाए जाने के मामलों पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने सोमवार को पहली बार जिम्मेदार एजेंसियों और विभागों पर मोटा जुर्माना ठोका है।
ईपीसीए की टीम ने शनिवार को नरेला और बवाना का दौरा किया था। इस दौरान वहां कई जगह औद्योगिक कचरा खासकर रबड़ जलता हुआ पाया गया। नरेला और बवाना औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाएं मुहैया कराने वाली दोनों कंपनियों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में विकास करने की जिम्मेदार डीएसआइआइडीसी पर भी पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा नरेला में बन रही डीडीए की कॉलोनी में भी बिल्डरों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना ठोका गया है।
ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल ने बताया कि दिल्ली को पराली से अधिक नुकसान औद्योगिक कचरे का धुआं पहुंचा रहा है। इसलिए उन्होंने सभी विभागों और औद्योगिक एसोसिएशन को कहा है कि यदि तीन नवंबर तक हालात नहीं बदले गए तो जुर्माना राशि न केवल करोड़ों में हो सकती है बल्कि साथ ही पर्यावरण एक्ट के तहत मामला भी दर्ज करवाया जाएगा।
इसके अलावा ईपीसीए ने पूठ खुर्द व बादली क्षेत्र में घरों में चल रही औद्योगिक इकाइयों पर भी नाराजगी जाहिर की। यहां भी दस दिनों में कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि इन क्षेत्रों में अब कोई लापरवाही होती है तो संबंधित औद्योगिक इकाई के बिजली व पानी के कनेक्शन काट दिए जाएं। रात के समय भी पेट्रोलिंग की जाए।
भूरेलाल ने यह भी कहा कि औद्योगिक कचरे का धुआं लोगों को बीमार बनाने के साथ-साथ हवा को भी जहरीला कर रहा है। कूड़ा उठाने के लिए वह डीएसआइआइडीसी की तरफ से निर्धारित कंपनियों को तय शुल्क भी दे रहे हैं। ईपीसीए ने उत्तरी दिल्ली निगम को भी निर्देश दिए कि फुटपाथ और सड़कों को साफ किया जाए।
हवा की गुणवत्ता में हुआ कुछ और सुधार
दिल्ली की हवा में सोमवार को कुछ और सुधार हुआ। एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी से खराब श्रेणी में पहुंच गया। मंगलवार को भी यह कमी बरकरार रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ इलाकों में अब भी एयर इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है।
सीपीसीबी के एयर बुलेटिन में सोमवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 272 दर्ज किया गया। सीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि एयर इंडेक्स में गिरावट के बावजूद स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। हालांकि मंगलवार को इसमें और सुधार होने की संभावना है।
बागपत के ईंट-भट्टों से गहराएगी धुंध
दिल्ली में एक बार फिर प्रदूषण की धुंध गहराने की आशंका प्रबल हो गई है। इसके जिम्मेदार हैं अवैध रूप से चल रहे बागपत के ईंट भट्ठे। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी समस्या से बेखबर नहीं हैं, लेकिन लगता है कि उन्हें हालात बेकाबू होने का इंतजार है। जिले के 500 ईंट भट्ठे संचालन और किसानों के पराली जलाने के कारण पिछले साल दिल्ली में धुंध छा गई थी। एनसीआर में एक फरवरी 2019 तक ईंट-भट्ठों के संचालन पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद अमीनगर सराय, बिनौली, बागपत, खेकड़ा, पिलाना व दाहा में ईंट-भट्ठों का संचालन किया जा रहा है।