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Open Book Examinations: सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

बुधवार को हुई सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने ओपन बुक परीक्षा मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 08:21 AM (IST)
Open Book Examinations: सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
Open Book Examinations: सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने ओपन बुक परीक्षा मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले मंगलवार को ओपन बुक परीक्षा कराने के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही सुनवाई हुई थी। इस दौरान छात्रों द्वारा ठीक से कपड़े न पहनने और स्क्रीन पर आ रहे मैसेज को देखकर नाराज दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए कैमरा व माइक बंद करने का निर्देश दिया था।

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न्यायमूर्ति के अलावा माइक और कैमरा बंद रखना अनिवार्य

महामारी के दौरान वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति व अधिवक्ता के अलावा सभी को माइक और कैमरा बंद रखना होता है। स्क्रीन पर आए कुछ संदेशों में एक था कि मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से नफरत है। पीठ ने जब पूछा कि ये मैसेज कौन भेज रहा है तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि ये छात्र होंगे और कोर्ट मास्टर ने उन्हें वेब-लिंक उपलब्ध कराया होगा।

कोर्ट की नाराजगी के बाद बंद हुआ माइक और कैमरा

कोर्ट की नाराजगी के बाद अधिवक्ता ने चैट-बॉक्स में एक मैसेज डालकर छात्रों को माइक और कैमरा बंद करने को कहा। सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंतिम वर्ष की परीक्षा का आंकलन नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक अंतिम वर्ष की परीक्षा की बात है ये ऑनलाइन-ऑफलाइन या अन्य माध्यम हो सकती है, लेकिन इसे प्रतिनिधित्व के माध्यम से नहीं किया जा सकता है।

इंटरनेट की सुविधा नहीं होने की दी जानकारी

याचिकाकर्ता अनुपम व अन्य की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आकाश ने कहा कि जिन छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है और वह मॉक-टेस्ट में बैठने में समक्ष नहीं है, लेकिन उन्हें सीधे 10 अगस्त से शुरू होने वाली ओपन बुक परीक्षा में सीधे बैठना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कुछ छात्र कंटेनमेंट (सील) जोन और बाढ़ वाले इलाके में फंसे हैं।


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