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कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, धर्मशालाएं 23 मार्च तक खाली करें पुजारी

केंद्र सरकार की वर्तमान नीति के तहत इसे स्थायी तौर पर नहीं दिया जा सकता है और इसका किराया अभी तय नहीं है। पीठ ने जब इसका कारण पूछा तो पता चला कि उक्त क्षेत्र में किराया तय करने के लिए कमेटी का गठन नहीं हुआ है।

By Vineet TripathiEdited By: Pradeep ChauhanPublished: Sun, 20 Mar 2022 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 20 Mar 2022 09:01 AM (IST)
कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, धर्मशालाएं 23 मार्च तक खाली करें पुजारी
प्रशासक द्वारा इसके लिए 104 योग्य दुकानदारों का चयन किया गया है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में मंदिर परिसर में बनीं धर्मशालाएं 23 मार्च तक पुजारियों को खाली करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने परिसर में पुजारियों के निहित अधिकारों पर भी अदालत का रुख स्पष्ट किया। पीठ ने कहा कि यह अदालत अधिवक्ताओं को सुनेगी और इस संबंध में परामर्श करने के बाद उचित आदेश पारित करेगी। कोर्ट ने कहा, मंदिर परिसर का पुनर्विकास सुनिश्चित करने को पुजारी के पास वही विकल्प होगा, जो कि धर्मशाला और झुग्गियों में रहने वाले लोगों को दिया जाता है।

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ऐसे में पुजारी मंदिर परिसर में रहना जारी नहीं रख सकते हैं। पुजारियों को 23 मार्च तक परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है। वहीं, 24 और 25 मार्च को झुग्गी और झोपड़ी वालों को बेदखल करने के साथ-साथ पुजारियों और धर्मशालाओं के मालिकों को बेदखल करने की प्रक्रिया होगी।

अस्थायी दुकान बनाने के मामले पर मुकरे डीडीए-एसडीएमसी : मंदिर परिसर के अंदर दुकानें बनाने के मामले पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) व दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) अपनी ही बात से मुकर गए। सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां डीडीए व एसडीएमसी के अधिवक्ता ने दलील दी कि मास्टर प्लान-2021 के तहत मंदिर ग्रीन-एरिया में होने के कारण अस्थायी दुकानें बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

वहीं, अदालत ने नोट किया कि 14 जनवरी 2022 के आदेश में डीडीए ने पहले कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास और अस्थायी दुकानें बनाने पर अनापत्ति दे दी थी। हालांकि पीठ ने नोट किया कि मंदिर परिसर में हमेशा ही अस्थायी दुकानें रही हैं। पीठ ने कहा, ऐसे में सभी तथ्यों को देखते हुए आर्किटेक्ट को परिसर के पुनर्विकास का कार्य पूरा होने तक एक साल के लिए अस्थायी दुकानें बनाने की अनुमति दी जाती है। प्रशासक द्वारा इसके लिए 104 योग्य दुकानदारों का चयन किया गया है।

खाली पड़े हैं जेएनएनयूआरएम के 52 हजार भवन, मांगी रिपोर्ट: पीठ को बताया गया कि दिल्ली के अंदर किराये पर गरीबों को भवन देने के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 52 हजार भवनों का निर्माण किया गया था। हालांकि केंद्र सरकार की वर्तमान नीति के तहत इसे स्थायी तौर पर नहीं दिया जा सकता है और इसका किराया अभी तय नहीं है। पीठ ने जब इसका कारण पूछा तो पता चला कि उक्त क्षेत्र में किराया तय करने के लिए कमेटी का गठन नहीं हुआ है।

यह भी बताया गया कि केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच अब तक अनुबंध नहीं होने के कारण जेएनएनयूआरएम के तहत उपलब्ध 52 हजार भवनों का आवंटन नहीं किया जा सका है। पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को चार सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने व योजना के तहत भवन लेने के इच्छुक व्यक्तियों को अंडरटेकिंग मंदिर के प्रशासक को देने को कहा।


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