फिल्म गुंजन सक्सेना 'द कारगिल गर्ल' को लेकर केंद्र की याचिका पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
संजय जैन ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में बनाए गए दिशानिर्देश के तहत गठित की गई प्रि-व्यू कमेटी को फिल्म कभी भी नहीं दिखाई गई।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। नेटफ्लिक्स फिल्म गुंजन सक्सेना "द कारगिल गर्ल' फिल्म में वायु सेना की छवि को खराब करने का दावा करते हुए केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त गुंजन सक्सेना को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने गुंजन सक्सेना से कहा कि वह फिल्म में दिखाए गए कंटेंट पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
सुनवाई के दौरान गुंजन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयन कृष्णन ने पीठ को सूचित किया कि फिल्म के डिस्क्लेमर में स्पष्ट कहा गया है कि यह फिल्म गुंजन सक्सेना से प्रेरित है, लेकिन यह उनकी आधिकारिक जीवनी नहीं है। उन्होंने कहा कि गुंजन मानती हैं कि फिल्म में एयर फोर्स अच्छी छवि को दर्शाया गया है। पीठ ने इस दौरान केंद्र सरकार को धर्मा प्रोडक्शन द्वारा दाखिल किए गए जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म, इलेक्ट्रॉनिक मोड से हटाने की भी याचिका में मांग की है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने से भी इन्कार कर दिया था। पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि ओवर द टॉप (ओटीटी) पर रिलीज होने से पहले उसने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि फिल्म ने भारतीय वायु सेना की छवि को खराब किया है। उन्होंने कहा कि फिल्म में कहा गया है कि वायुसेना लैंगिक पक्षपात करती है जोकि सच नहीं है। पीठ ने इसके साथ ही मामले में धर्मा प्रोडक्शन व नेटफ्लिक्स से मामले में जवाब मांगा था। पीठ ने कहा था कि अदालत का मामला है कि मामले में सेवानिवृत्त फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को भी पक्षकार बनाना चाहिए।
संजय जैन ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में बनाए गए दिशानिर्देश के तहत गठित की गई प्रि-व्यू कमेटी को फिल्म कभी भी नहीं दिखाई गई। इतना ही नहीं एयरफोर्स से इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मांगा गया। धर्मा प्रोडक्शन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि उन्होंने फिल्म को देखा है और इसमें एयरफोर्स की अच्छी छवि पेश की है। उन्होंने कहा था कि कोई भी संगठन नहीं है जिसमें लैंगिक मुददा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चार सीन को लेकर नहीं कह सकते कि इससे बदनामी हो रही है। नेटफ्लिक्स की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने पीठ को बताया कि वर्ष 2018 में फिल्म की स्क्रिप्ट एयरफोर्स से साझा की गई थी और फिल्म भी फरवरी में दिखाई गई थी।
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