कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास के लिए हाई कोर्ट ने बारीदारों से मांगे प्रस्ताव, ये है विवाद के तीन प्रमुख मुद्दे
बारीदारों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं ने भी सफाई और पुनर्विकास के मुद्दे पर सहमति जताई है। ऐसे में मंदिर के सभी बारीदारों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं से पीठ ने कहा कि अगर उनके पास पुनर्विकास को लेकर कोई प्रस्ताव है तो दाखिल करें।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कालकाजी मंदिर परिसर की स्वच्छता और बुनियादी ढांचे की असंतोषजनक स्थिति को लेकर गंभीर दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। एक याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सफाई और पुनर्विकास को लेकर समय-समय पर कई निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय आयुक्त व कोर्ट रिसीवर की ताजा रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि मंदिर की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
पूजा सेवा के लिए कोर्ट रिसीवर नियुक्त करने की मांग को लेकर बारीदार बिशन स्वरूप की याचिका पर सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि त्योहार के समय लाखों भक्त मंदिर जाते हैं। इसके अलावा हर दिन हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन सफाई समेत अन्य सुविधाएं नहीं होने के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
सभी बारीदारों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं ने भी सफाई और पुनर्विकास के मुद्दे पर सहमति जताई है। ऐसे में मंदिर के सभी बारीदारों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं से पीठ ने कहा कि अगर उनके पास पुनर्विकास को लेकर कोई प्रस्ताव है तो दाखिल करें। इसके अलावा पीठ ने सभी बारीदारों को अदालत में पेश होने के लिए कहा, ताकि एक प्रभावी आदेश पारित किया जा सके।
पीठ ने निर्देश पूजा सेवा से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई अब हाई कोर्ट में होगी। इसे लेकर पीठ ने सभी निचली अदालतों के जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया कि पूजा सेवा से जुड़े सभी मामलों का रिकार्ड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजें। इसके अलावा पीठ ने धर्मशाला, तहबाजारी और दुकानदारों से जुड़े मामलों पर तीस हजारी और साकेत कोर्ट के जिला न्यायाधीश से लंबित मामलों पर रिपोर्ट मांगी है। मामले में अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी।
विवाद के तीन प्रमुख मुद्दे
- मंदिर परिसर के नवीनीकरण व पुनर्विकास के साथ आसपास नागरिक सुविधाओं, स्वच्छता आदि का बंदोबस्त करना
- अधिकार, व्यवसाय और आवंटन के साथ दुकानदारों, तहबाजारी धारकों और धर्मशालाओं से राजस्व वसूली के तरीकों पर मतभेद।
- बारीदारों और पूजा सेवा अधिकारों के संबंध में उत्पन्न होने वाला कानूनी मामले, खासतौर पर महिलाओं के पूजा सेवा संचालन का अधिकार