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भक्त व भगवान के बीच बाधा न बनें पुजारी: दिल्ली हाई कोर्ट

मंदिर में श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए एक से दो सेकेंड मिलते हैं। कम से कम उसमें तो कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। श्रद्धालुओं व भगवान के बीच बाधा उचित नहीं है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 11 Feb 2017 03:14 PM (IST)Updated: Sat, 11 Feb 2017 07:56 PM (IST)
भक्त व भगवान के बीच बाधा न बनें पुजारी: दिल्ली हाई कोर्ट
भक्त व भगवान के बीच बाधा न बनें पुजारी: दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली [जेएनएन]। पुजारी को भक्त व भगवान के बीच बाधा नहीं बनना चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी कालकाजी मंदिर के पुजारी की याचिका पर की है। याची ने अपनी दो बहनों के कालकाजी मंदिर में सेवा व पूजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने मंदिर की वर्तमान व्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आखिर मंदिर चल किस प्रकार रहा है। उन्होंने मंदिर की व्यवस्था में सुधार करने पर जोर देते हुए कहा कि वे भी कालकाजी मंदिर में जाते हैं। मंदिर के काम में सुधार की जरूरत है। मंदिर जिस प्रकार चल रहा है वह उससे चिंतित हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए एक से दो सेकेंड मिलते हैं। कम से कम उसमें तो कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। श्रद्धालुओं व भगवान के बीच बाधा उचित नहीं है। पुजारी वहां केवल बाधा डालते हैं।

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एक व्यक्ति को एक या दो सेकेंड भगवान के साथ संवाद करने के लिए दें। अदालत के कड़े रवैये को देख दोनों बहनों व पुजारी ने समझौता कर लिया। पुजारी ने कहा कि वो 7 फरवरी से 7 मार्च के दौरान पूजा व सेवा से आने वाले चढ़ावे में से दोनों बहनों को अंतरिम व्यवस्था के तहत छह-छह लाख रुपये देने को तैयार हैं।

अदालत ने समझौते को स्वीकार करते हुए पुजारी को तीन दिन में 24 फरवरी की तारीख के चेक प्रदान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि मंदिर में दर्शन के लिए ठीक व्यवस्था हो जैसा कि वैष्णो देवी व अन्य मंदिरो में है।

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अदालत ने झंडेवालान मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भक्त लाइन में खड़े होकर एक तय दूरी से भगवान का दर्शन कर सकते हैं। कालकाजी मंदिर में भी इस तरह की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती। अदालत ने कहा कि भक्तों को मंदिर में दो लाइनों के जरिये जाने की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे कि भीड़ से परेशानी न हो।

अदालत ने कालकाजी पुलिस थानाध्यक्ष को 21 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई के दिन इस संबंध में सुझाव के साथ पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में पुजारी व उनकी दो बहनों के वकीलों को भी मंदिर में जाकर निरीक्षण कर सुझाव देने का निर्देश दिया है, ताकि दर्शन प्रक्रिया आसान बनाई जा सके।


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