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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका पर दो सप्ताह में दाखिल करें जवाब

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि अदालत याचिका पर 17 मई को सुनवाई करेगी।इस दौरान अदालत यह भी तय करेगी कि याचिकाओं पर सुनवाई की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम किया जाना चाहिए या नहीं।

By Vineet TripathiEdited By: Prateek KumarPublished: Thu, 31 Mar 2022 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 31 Mar 2022 07:51 PM (IST)
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका पर दो सप्ताह में दाखिल करें जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि अदालत याचिका पर 17 मई को सुनवाई करेगी। इस दौरान अदालत यह भी तय करेगी कि याचिकाओं पर सुनवाई की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम किया जाना चाहिए या नहीं।

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लाइव स्ट्रीमिंग के बारे में केंद्र ने नहीं दिया है जवाब 

बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी, सौरभ कृपाल, नीरज किशन कौल और अन्य अधिवक्ताओं ने अदालत को सूचित किया कि लाइव-स्ट्रीमिंग के संबंध में उन्होंने नवंबर 2021 में आवेदन दाखिल किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक अपना जवाब नहीं दाखिल किया।

केंद्र को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश

इस पर पीठ ने केंद्र को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। इससे पहले केंद्र सरकार ने पहले याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा-377 के तहत समलैंगिकता को अपराध से मुक्त करने के बावजूद समलैंगिक विवाह का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

दो लोगों ने दायर की है याचिका

इस मामले में दो समलैंगिक ने याचिका दायर कर कहा था कि उन्हाेंने फरवरी 2018 में वाराणसी में अपनी शादी कर ली है और शादी की मान्यता की मांग कर रहे हैं। वहीं, एक ट्रांसजेंडर ने जेंडर रि-असाइनमेंट सर्जरी करवाई है और अपनी शादी की मान्यता चाहता है। इसके अलावा अभिजीत अय्यर मित्रा की लंबित याचिका में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग करते हुए आवेदन दाखिल किया गया है। उन्होंने दलील दी थी कि मामले में शामिल याची के अधिकारों को देखते हुए कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की जरूरत है।


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