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दिल्ली HC ने कहा- अधिकारी और पार्षद राजाओं की तरह रह रहे हैं, कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा

दिल्ली हाई कोर्ट पीठ ने कहा कि राजाओं जैसी जिंदगी जी रहे लोगों को जब तक तकलीफ नहीं होगी तब तक हालात नहीं बदलेंगे। जिन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है उनका भी तो परिवार है। उन पर भी तो कई जिम्मेदारियां हैं जरा उनकी तकलीफ को समझें।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 12:02 PM (IST)
दिल्ली HC ने कहा- अधिकारी और पार्षद राजाओं की तरह रह रहे हैं, कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा
21 जनवरी तक जवाब दाखिल कर बताएं कि वेतन देने के लिए क्या सोचा गया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तीनों नगर निगमों में वेतन न मिलने पर दायर विभिन्न याचिकाओं पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि निगमों के अधिकारी राजाओं की तरह जिंदगी जी रहे हैं, जबकि कोविड-19 फ्रंट लाइन कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल रहा है। डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, शिक्षक, सफाई कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी बेहद मुश्किल से जिंदगी काट रहे हैं। पीठ ने सख्ती दिखाते हुए कहा उसका इरादा सभी तरह के गैर जरूरी खर्च, पार्षदों और अधिकारियों के भत्तों पर रोक लगाने का है, ताकि फ्रंट लाइन कर्मचारियों को वेतन दिला सकें। दिल्ली हाई कोर्ट पीठ ने कहा कि राजाओं जैसी जिंदगी जी रहे लोगों को जब तक तकलीफ नहीं होगी, तब तक हालात नहीं बदलेंगे।

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जिन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है, उनका भी तो परिवार है। उन पर भी तो कई जिम्मेदारियां हैं, जरा उनकी तकलीफ को समझें। कुछ लोग मौज करें और सिर्फ तीसरी और चौथी श्रेणी के कर्मचारी ही तकलीफ में क्यों रहें? दिल्ली हाई कोर्ट ने लोन की रकम से वेतन देने के दिल्ली सरकार के फैसले पर भी आपत्ति जताई। सरकार की तरफ से कहा गया था कि निगमों को जो लोन दिया गया है, उसमें से वेतन दे सकते हैं, क्योंकि अभी वेतन देने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है और फंड की कमी है। इस पर पीठ ने कहा कि फंड की कमी वेतन न देने का बहाना नहीं हो सकता। 21 जनवरी तक जवाब दाखिल कर बताएं कि वेतन देने के लिए क्या सोचा गया है।

बता दें कि हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं, जिनमें वेतन की मांग की गई है। तीनों ही निगमों में कई माह से वेतन नहीं मिला है और इसके चलते कई बार हड़ताल भी हो चुकी है। अभी भी कुछ कर्मचारी हड़ताल पर हैं।

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