हाईकोर्ट ने कहा अनुराग ठाकुर व प्रवेश वर्मा के भाषण में कहां है सांप्रदायिक मंशा, वृंदा करात की चुनौती याचिका पर फैसला सुरक्षित
याची की तरफ से दलील देते हुए अधिवक्ता तारा नरुला व अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने पीठ को सूचित किया कि जिस समय भाषण दिए जा रहे थे तब लोग शाहीन बाग जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व सांसद प्रवेश वर्मा से जुड़े मामले में सीपीआइ (एम) नेता वृंदा करात की चुनौती याचिका पर निर्णय सुरक्षित रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कई अहम सवाल उठाएं हैं। भड़काऊ भाषण मामले में निचली अदालत द्वारा एफआइआर दर्ज करने से इन्कार करने के निर्णय को करात ने चुनौती दी है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान माैखिक तौर पर पूछा कि भाषण में सांप्रदायिक मंशा कहा हैं?
पीठ ने पूछा कि क्या भाषण आंदोलन स्थल के सामने किया गया था? अगर नहीं, तो इसलिए मैं कह रहा हूं, ये लोग, किसे इंगित कर रहे थे? "ये लोग" शब्दों के इस्तेमाल पर पीठ ने कहा ये लोग कोई भी हो सकते हैं। आप इसका अनुवाद कैसे कर सकते हैं या इसके बारे में कैसे सोच सकते हैं? अदालत का यह मामला नहीं है क्योंकि हम इस रिट याचिका में केवल कानूनी पहलू को देख रहे हैं।
याची की तरफ से दलील देते हुए अधिवक्ता तारा नरुला व अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने पीठ को सूचित किया कि जिस समय भाषण दिए जा रहे थे तब लोग शाहीन बाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पीठ ने पुजारी से पूछा क्या विरोध में हिस्सा लेने वाले लोग केवल एक समुदाय के थे। पुजारी ने न में जवाब देते हुए कहा ऐसा माना जा रहा था कि केवल मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध में भाग ले रहे थे।
पीठ ने पूछा इससे जुड़े साक्ष्य कहां है? क्योंकि यदि आप कह रहे हैं कि विरोध केवल एक विशेष समुदाय के लिए था तो और उन्हीं के लिए भारण दिया गया। लेकिन, इस आंदोलन को अन्य लोगों ने भी समर्थन दिया था तो फिर आप कैसे कह सकते हैं कि दोनों नेताओं द्वारा दिया गया बयान एक समुदाय के लिए था? जबाब में तारा नरुला ने कहा कि भाषण में "ये लोग" शब्दों का इस्तेमाल कर राजनेता ने एक प्रकार का वर्गीकरण किया था।
एफआइआर दर्ज करने से इन्कार करते हुए वृंदा करात की याचिका को 26 अगस्त 2020 को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अदालत अभियुक्तों द्वारा दिए गए भाषणों की सामग्री पर विचार करें कि क्या यह संज्ञेय अपराध है या नहीं।अनुराग ठाकुर व प्रवेश वर्मा के दो अलग-अलग स्थान पर दिए गए बयान को उकसाने वाला बताकर करात ने एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश देने की मांग की है।