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बच्चों के कल्याण के लिए कई संस्थान, जरूरत में किसी ने नहीं उठाया कदम : दिल्ली हाई कोर्ट

पीठ ने यह टिप्पणी उन बच्चों को लेकर की जिनके माता-पिता की या तो संक्रमण के कारण मौत हो गई है या फिर जाे अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। पीठ ने कहा कि ऐसे बच्चों को दुनिया की दया पर छोड़ दिया जाता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 11:12 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 11:12 AM (IST)
बच्चों के कल्याण के लिए कई संस्थान, जरूरत में किसी ने नहीं उठाया कदम : दिल्ली हाई कोर्ट
बच्चों के कल्याण के लिए कई संस्थान, जरूरत में किसी ने नहीं उठाया कदम : दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खाेने से अनाथ हुए बच्चों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों के कल्याण के लिए बनाए गए संस्थानों पर गंभीर सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि बच्चों के कल्याण के लिए बहुत सारे संस्थान है, लेकिन कोरोना महामारी में जब बच्चों को ऐसे संस्थानों की सख्त जरूरत है तब किसी ने भी इनके लिए कोई कदम नहीं उठाया। पीठ ने कहा कि ऐसे वक्त में जब बच्चों को ऐसे संस्थानों से मदद की उम्मीद है किसी ने भी आगे आकर कुछ नहीं किया।

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पीठ ने यह टिप्पणी उन बच्चों को लेकर की जिनके माता-पिता की या तो संक्रमण के कारण मौत हो गई है या फिर जाे अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। पीठ ने कहा कि ऐसे बच्चों को दुनिया की दया पर छोड़ दिया जाता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता व अदालत मित्र राजशेखर राव ने सुनवाई के दौरान पीठ से कहा कि बाल कल्याण के संस्थानों व आंगनवाड़ी को ऐसे बच्चाें की मदद के लिए लगाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) से ऐसे बच्चों को गोद लेने के संबंध में निर्देश जारी करने को भी कहा जा सकता है। साथ ही बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) से पूछा जा सकता है कि उन्होंने इस संबंध में क्या कदम उठाए हैं।

दिल्ली सरकार ने कहा कि इस मुद्​दे पर लोगों को जागरुक करने के लिए प्रचार किया जा रहा है और अखबार व टीवी चैनल के माध्यम से लोगाें को जागरुक करने का भी काम किया जा रहा है।

वहीं, सुनवाई के दौरान मामले को उठाने वाली अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने कहा कि विज्ञापन केवल बच्चों द्वारा कोरोना से माता-पिता की मौत के कारण बच्चों के अनाथ होने की बात करते हैं। विज्ञापन में उन बच्चों के बारे में नहीं बताया जाता जिन बच्चों के माता-पिता अस्पताल में भर्ती हैं और घर में ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए कोई अन्य व्यक्ति मौजूद नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी वर्तमान में आननलाइन ही कार्य कर रही है और इस वजह से लोगों को जानकारी नहीं है कि सीडब्ल्यूसी से कैसे संपर्क करें। इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि विज्ञापन में इन तथ्यों का ध्यान रखकर तैयार किया जाये और ज्यादा से ज्यादा इसका प्रचार किया जाये। पीठ ने साथ ही कौर से कहा कि अगर उनके पास इससे जुड़ा उपयुक्त विज्ञापन का मसौदा है तो वे अदालत मित्र के साथ साझा करें। अदालत इसी विज्ञापन के माध्यम से दिल्ली सरकार को इसे प्रचारित करने को कहेगी।


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