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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा अनुग्रह राशि को लेकर चिकित्साकर्मियों के बीच भेद करना न्यायोचित नहीं, पढ़िए क्या है पूरा मामला?

अनुग्रह राशि के लिए उनके और सरकार द्वारा चिह्नित अस्पतालों में कार्यरत चिकित्साकर्मियों के बीच भेद करना न्यायोचित नहीं है। कोरोना की पहली लहर में जीटीबी नगर के न्यू लाइफ अस्पताल में सेवारत डा. हरीश कुमार की मौत हो गई थी। उनकी पत्नी ने याचिका दायर की थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 12:35 PM (IST)
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा अनुग्रह राशि को लेकर चिकित्साकर्मियों के बीच भेद करना न्यायोचित नहीं, पढ़िए क्या है पूरा मामला?
कोरोना महामारी के दौरान एक डाक्टर की मौत के मामले में की टिप्पणी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के दौरान एक डाक्टर की मौत के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महामारी में छोटे नर्सिंग होम के डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ ने हजारों मरीजों को इलाज मुहैया कराया है। अनुग्रह राशि के लिए उनके और सरकार द्वारा चिह्नित अस्पतालों में कार्यरत चिकित्साकर्मियों के बीच भेद करना न्यायोचित नहीं है। कोरोना की पहली लहर में जीटीबी नगर के न्यू लाइफ अस्पताल में सेवारत डा. हरीश कुमार की मौत हो गई थी। उनकी पत्नी ने याचिका दायर की थी।

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उस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान छोटे नर्सिंग होम भी दिल्ली के हजारों निवासियों को उपचार प्रदान कर रहे थे। यदि उनकी संख्या को जोड़ा जाए तो इनमें सरकारी अस्पतालों और सरकार द्वारा निर्धारित कोविड अस्पतालों की तुलना में बिस्तरों की संख्या अधिक हो सकती है। खंडपीठ ने पूछा कि अग्रिम पंक्ति के कर्मियों व डाक्टरों के परिवारों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि के लिए क्या याचिकाकर्ता ने आवेदन किया है और क्या उसे राशि मिली है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने आवेदन किया था, लेकिन अनुग्रह राशि नहीं मिली है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण ने कहा कि वर्तमान में अनुग्रह राशि प्रदान करने का प्रविधान केवल सरकारी अस्पतालों और कोरोना के लिए निर्धारित किए गए अस्पतालों में सेवारत डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के संबंध में है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के दिवंगत पति 50 से कम बिस्तर वाले नर्सिंग होम में सेवा दे रहे थे, जिसे दिल्ली सरकार ने कोरोना के उपचार के लिए चिह्नित नहीं किया था। इस पर खंडपीठ ने कहा कि छोटे नर्सिंग होम के डाक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों ने भी हजारों मरीजों को महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान कोरोना का उपचार मुहैया कराया है।

अनुग्रह राशि के लिए उनसे भेद करना न्यायोचित नहीं है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह मंत्रिमंडल के फैसले को रिकार्ड में रखने के लिए एक हलफनामा दाखिल करेंगे, साथ ही याचिकाकर्ता के पति के मामले में अनुग्रह राशि देने के मामले पर पुनर्विचार भी करेंगे। खंडपीठ ने चार सप्ताह में हलफनामा मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।


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