Coronavirus Vaccination पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- अपनों को टीका लगा नहीं, दूसरे देशों को बेच रहे
Coronavirus Vaccination सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और भारत बायोटेक को अलग-अलग हलफनामा दायर कर बताने के लिए कहा है कि प्रतिदिन प्रति सप्ताह से लेकर प्रति माह टीका निर्माण करने की उनकी क्या क्षमता है। साथ ही यह भी बताएं कि कितने टीके बिना इस्तेमाल के पड़े हैं।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना टीकाकरण पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवाार को कहा कि अपने लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के बजाय हम या तो वैक्सीन को दूसरे देशों को दान दे रहे हैं या फिर इसे बेच रहे हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने केंद्र सरकार से टीकाकरण करने के लिए तय मापदंड को वर्गीकृत करने के पीछे का तर्क पूछा है। वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और भारत बायोटेक को अलग-अलग हलफनामा दायर कर बताने के लिए कहा है कि प्रतिदिन, प्रति सप्ताह से लेकर प्रति माह टीका निर्माण करने की उनकी क्या क्षमता है। साथ ही यह भी बताएं कि कितने टीके बिना इस्तेमाल के पड़े हैं। पीठ ने कहा कि दोनों संस्थाएं बताएं कि क्या वे अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकती हैं।
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के एक पत्र का संज्ञान लेकर हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी। पीठ ने केंद्र सरकार को कहा, टीकों के लिए परिवहन क्षमता के साथ यह भी बताएं कि वर्तमान में इसका उपयोग किस हद तक हो रहा है। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि कोर्ट परिसर में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का निरीक्षण करें और रिपोर्ट पेश कर बताएं कि कहां पर कोरोना टीकाकरण का केंद्र स्थापित किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को नौ मार्च तक इस बाबत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए 10 मार्च तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा और केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैं¨डग काउंसल अनिल सोनी ने पीठ को सूचित किया कि टीकाकरण के लिए लोगों के वर्ग का चयन एक नीतिगत निर्णय है, जो विशेषज्ञों की टीम द्वारा लिया गया था। उन्होंने बताया कि ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।