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टीके की उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल न करने वाले अधिकारियों पर नरसंहार का केस चलाना चाहिए: दिल्ली HC

न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पठ ने कहा कि भारत में बहुत अधिक गुंजाइश और बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि अधिकारियों भय मनोविकृति के कारण ऐसा नहीं कर रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 11:14 AM (IST)
टीके की उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल न करने वाले अधिकारियों पर नरसंहार का केस चलाना चाहिए: दिल्ली HC
टीके की उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल न करने वाले अधिकारियों पर नरसंहार का केस चलाना चाहिए: दिल्ली HC

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पैनेशिया बायोटेक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि टीके की उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल न करने वाले अधिकारियों पर नरसंहार का मामला चलाया जाना चाहिए क्योंकि इससे बहुत सारी मौतें हो रही हैं। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पठ ने कहा कि भारत में बहुत अधिक गुंजाइश और बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि अधिकारियों भय मनोविकृति के कारण ऐसा नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों को डर है कि सतर्कता जांच होगी, आडिट होगा या पुलिस जांच होगी। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को बता दें कि यह समय इन जांचों और आडिट रिपो‌र्ट्स से सावधान रहने का नहीं है। इससे आज मौत हो रही है।

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पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ केंद्र सरकार से कहा कि पैनेशिया बायोटेक के नमूनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए जो भारत में स्पुतनिक-वी के निर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के साथ काम कर रहा है। पीठ ने केंद्र सरकार को इस संबंध में औपचारिक निर्देश लेकर आने को कहा। मामले में अगली सुनवाई चार जून को होगी। पीठ ने कहा कि यदि वैक्सीन को बड़े पैमाने पर जनता के लिए स्वीकृत किया गया है, तो सरकार को केवल यह देखने की आवश्यकता है कि इस फर्म द्वारा उत्पादित किए जा रहे नमूने मौजूदा मानकों के अनुरूप हैं या नहीं। पीठ ने कहा यह एक फाड़ने वाली आपात स्थिति है। आप अपने फैसले में तेजी लाएं ताकि  कुछ राहत की सांस  हो।

पीठ ने यह तल्ख टिप्पणी दिल्ली स्थित पैनेशिया बायोटेक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। करोड़ों रुपये के आर्बिटल अवार्ड के संबंध में जुलाई 2020 में अदालत ने बायोटेक के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि, बायोटेक ने उस अंडरटे¨कग दिया था कि वह इस आर्बिटल अवार्ड को लागू नहीं करेगा। कोरोना वैक्सीन के निर्माण में पैसों की कमी को देखते हुए अब कंपनी ने अपने नए आवेदन में मध्यस्थ पुरस्कार को रिलीज करने की मांग की है। पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह भारत में आयात की जाने वाली दवा के लिए प्रभावकारिता परीक्षण नहीं कर रहा था, जबकि यहां उसी दवा के लिए नियम का पालन कर रहा है। इसका क्या मतलब है।

पैनेशिया का वैक्सीन उत्पादन बहुत दूर की बात

केंद्र सरकार केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने पीठ को बताया कि पैनेशिया कोरोना वैक्सीन के उत्पादन से बहुत दूर है क्योंकि इसका अनुमोदन प्राधिकरण से लंबित है। उन्होंने कहा कि यह नहीं कह सकता कि फर्म के पास वैक्सीन के निर्माण के लिए धन की कमी है क्योंकि इन्हें पहले से ही आरडीआइएफ से वित्त सहायता मिल रही थी। उन्होंने कहा कि स्पुतनिक सहित वैक्सीन की खरीद और निर्माण के मुददे सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और इसलिए इस अदालत को वर्तमान आवेदन में कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फर्म वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन से एक महीने दूर है और उसे दक्षता परीक्षण का पालन करना होगा, क्योंकि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत कोई छूट नहीं है।अन्य देश को नहीं मिलना चाहिए लाभ पीठ ने कहा कि टीका बनाने की क्षमता का हमें इस्तेमाल करना चाहिए। पीठ ने कहा कि आप इस क्षमता को अप्रयुक्त नहीं छोड़ सकते। विदेशी यहां आ रहे हैं और उन्हें इस अप्रयुक्त क्षमता को नहीं छीनने नहीं देना चाहिए। आपके अधिकारियों को इसका एहसास नहीं हो रहा है।


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