DU में फिर से चुनाव कराने पर हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
अंकिव बसोया के इस्तीफे के बाद फिर से विवि में चुनाव कराने की मांग पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली,जेएनएन। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अंकिव बसोया के इस्तीफे के बाद कई छात्र संगठनों ने फिर से विश्वविद्यालय में चुनाव कराने की मांग की थी। इस कारण दिल्ली के हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस पर मंगलवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। एनएसयूआई ने दिल्ली विश्वविद्यालय से नए चुनाव कराने की मांग थी। साथ ही कहा कि अगर चुनाव नहीं कराया जा सकता तो अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में रनर अप रहे एनएसयूआई छात्र शनि चिल्लर को अध्यक्ष बनाया जाए। इसके लिए एक ज्ञापन भी विश्वविद्यालय को संगठन ने सौंपा था।
इस डिग्री पर मचा है विवाद
अंकिव बैसोया की स्नातक की डिग्री को लेकर हंगामा मचा हुआ है। पूर्व डूसू अध्यक्ष अंकिव बसोया पर नकली प्रमाणपत्र जमा करने के आरोप में दिल्ली के मॉरिस नगर पुलिस स्टेशन में आइपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अंकिव पर दिल्ली विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रमुख केटीएस साराओ ने शिकायत दर्ज कराई थी।
तिरुवल्लुवर विश्वविद्याल ने कहा अंकिव हमारे छात्र नहीं
पूरे मामले पर तमिलनाडु के तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय ने कहा है कि यह सौ फीसद सच है कि अंकिव हमारे छात्र नहीं हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 में हुए छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता अंकिव बैसोया अध्यक्ष पद का चुनाव जीते थे। अध्यक्ष बनने के एक सप्ताह के अंदर नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने अंकिव की डिग्री पर सवाल उठाते हुए कुलपति प्रो. योगेश त्यागी को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की थी।
तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से किया स्नातक
अंकिव ने दावा किया था कि उन्होंने डीयू के बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में इस साल एमए बुद्धिस्ट स्टडीज पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था। इससे पहले उन्होंने तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। इस पाठ्यक्रम की डिग्री एवं अन्य दस्तावेज बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में एमए पाठ्यक्रम में दाखिला लेते समय जमा कराए थे। इसके बाद डीयू ने अंकिव समेत कई छात्रों की स्नातक पाठ्यक्रम की डिग्री की जांच शुरू की थी। डीयू ने तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय को भी पत्र लिखा था।