पी चिदंबरम से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
सीबीआइ ने चिदंबरम को दस्तावेजों का निरीक्षण करने के संबंध में निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी है। सीबीआइ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अनुपम एस शर्मा ने कहा कि मामले की जांच जारी है ऐसे में गोपनीयता महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम व उनके सांसद बेटे कार्ति चिदंबरम को दस्तावेजों का निरीक्षण करने के संबंध में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआइ की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सीबीआइ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपितों को सीज दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सीबीआइ ने कहा कि इसमें सुबूतों के साथ छेड़छाड़ होने का खतरा है। हालांकि, न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों के निरीक्षण के पहलू को सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट किया है, जोकि आरोपित के पक्ष में है।
पीठ ने कहा कि ज्यादातर चीजों के लिए दोष को आरोपित पर स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून को भी आगे बढ़ना है। हर जांच एजेंसी एक हजार दस्तावेज जब्त करती है और यह आपकी संपत्ति नहीं है। इनमें आरोपित के विशेष सामग्री हो सकती है। उक्त टिप्प्पणी करते हुए पीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही प्रकरण में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर लगी अंतरिम रोक को जारी रखने का आदेश दिया।
सीबीआइ ने चिदंबरम को दस्तावेजों का निरीक्षण करने के संबंध में निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी है। सीबीआइ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अनुपम एस शर्मा ने कहा कि मामले की जांच जारी है ऐसे में गोपनीयता महत्वपूर्ण है। इस पर पीठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि फिर आप कहेंगे जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती ट्रायल को रोका जाए।
पीठ ने पूछा कि आगे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए तब अदालत निर्धारित करेगी कि कौन से दस्तावेज दिए जाने चाहिए। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपित सीज दस्तोवज के निरीक्षण की मांग कर सकता है। पीठ ने कहा कि हम भूल चुके हैं कि आपराधिक कानून का मूल क्या है।
बता दें कि आइएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ ने चिदंबरम को 21 अगस्त 2019 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 16 अक्टूबर को ईडी ने मनी-लान्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया था। दोनों मामलों में चिदंबरम को जमानत चुकी है। सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी धन प्राप्त करने के लिए आइएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी में अनियमितता की थी।