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दिल्ली से युवती को जबरदस्ती उठाकर ले जाने की राजस्थान पुलिस की कार्रवाई गलत : दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली की युवती के घर छोड़ने के बाद पिता ने धौलपुर में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद मंगलवार को जामिया नगर से पुलिस युवती को उठा ले गई थी। इसके बाद युवती ने दोस्त के माध्यम से याचिका दायर कर कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 12:48 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 12:48 PM (IST)
दिल्ली से युवती को जबरदस्ती उठाकर ले जाने की राजस्थान पुलिस की कार्रवाई गलत : दिल्ली हाई कोर्ट
नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। अपहरण के मामले में दिल्ली से 26 वर्षीय युवती को जबरदस्ती उठाकर ले जाने की राजस्थान पुलिस की कार्रवाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने अन्यायपूर्ण बताया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई करें। पीठ ने कहा कि पुरुष पुलिस अधिकारियों को महिला को जबरदस्ती कार में धक्का देने का हक नहीं और वह भी तब जबकि वह आरोपित नहीं, बल्कि पिता और चाचा द्वारा दर्ज की गई एफआइआर के तहत पीड़ित है। दरअसल, दिल्ली निवासी युवती के घर छोड़ने के बाद पिता ने धौलपुर में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद मंगलवार को जामिया नगर से पुलिस युवती को जबरदस्ती उठा ले गई थी। इसके बाद युवती ने दोस्त के माध्यम से याचिका दायर कर हाई कोर्ट से सुरक्षा देने की मांग की थी।

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इस पर बुधवार को दिए गए निर्देश के बाद बृहस्पतिवार को युवती को दिल्ली लाकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीठ के समक्ष पेश किया गया। आइआइएम बेंगलुरु से फेलोशिप करने वाली युवती ने कहा कि परिवार द्वारा शादी का दबाव बनाने पर उन्होंने घर छोड़ दिया था, लेकिन मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए राजस्थान पुलिस उन्हें जबरदस्ती दिल्ली से लेकर धौलपुर चली गई थी। पीठ ने कहा कि अगर युवती द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं तो यह गंभीर मामला है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठता है।

इस मामले में जांच करके राज्य सरकार कार्रवाई करे। पीठ ने कहा कि पुलिस यदि युवती को बयान दर्ज करने के लिए राजस्थान ले गई थी तो यहां की अदालत में भी ऐसा कर सकती थी। सुनवाई के दौरान युवती के पिता ने बताया कि उनका शिक्षित परिवार है और उनकी बेटी ने उन्हें स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि वह शादी करने के बजाय पढ़ना चाहती है।

उन्होंने अदालत को सुनिश्चित किया कि वे युवती पर शादी का दबाव नहीं बनाएंगे। वहीं, युवती ने कहा कि वह अपने परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहती, बस सुरक्षा चाहती है। पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह युवती को उसकी दोस्त के निवास पर छोड़ दे। वहीं, परिजनों से कहा कि वे युवती से न मिलें और अगर युवती चाहे तो सामान्य स्थान पर बात करके मिल सकती है।

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