Move to Jagran APP

दिल्ली हाइकोर्ट ने पेश की नजीर, आठ सुनवाई में निपटाया नौ साल पुराना केस

चेक बाउंस होने के नौ साल पुराने एक मामले में विगत करीब डेढ़ माह में लगातार आठ सुनवाई करते हुए मामले का निपटारा कर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक नजीर पेश की है। वर्ष 2016 में हक में फैसला आने के बावजूद पीड़ित पक्ष को अंतिम न्याय नहीं मिला।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 06:48 PM (IST)
दिल्ली हाइकोर्ट ने पेश की नजीर, आठ सुनवाई में निपटाया नौ साल पुराना केस
हिमाचल के नाहन स्थित कंपनी के नोएडा निवासी मालिक से समझौते को मजबूर हुआ बकायेदार

नई दिल्ली, [विनीत त्रिपाठी]। चेक बाउंस होने के नौ साल पुराने एक मामले में विगत करीब डेढ़ माह में लगातार आठ सुनवाई करते हुए मामले का निपटारा कर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक नजीर पेश की है। वर्ष 2016 में हक में फैसला आने के बावजूद पीड़ित पक्ष को अंतिम न्याय नहीं मिला।

loksabha election banner

निचली अदालत के फैसले को वर्ष 2016 में हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन यह मामला लंबित रहा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस साल 8 फरवरी से 26 मार्च के बीच एक के बाद लगातार आठ सुनवाई की। अदालत का अपीलकर्ता पर ऐसा दबाव बना कि उसने पीड़ित पक्ष को बकाया 45 लाख रुपये देने का समझौता कर लिया। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता उक्त धनराशि देने को तैयार है, ऐसे में याचिका का निपटारा किया जाता है।

यह पूरा मामला नोएडा सेक्टर-30 निवासी सूरज खन्ना की हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की नाहन तहसील स्थित हिमालयन पाइन गोल्ड रेजिन एंड केमिकल कंपनी से जुड़ा है। इसका एक कार्यालय दिल्ली के दरियागंज में भी है। यह कंपनी मूल रूप से रेजिन (राल) का उत्पादन करती है, जिसका इस्तेमाल कागज बनाने में किया जाता है।

पाइन गोल्ड ने ओम प्रकाश दुजोडवाला कंपनी को वर्ष 2010 में माल सप्लाई किया था। इसके बदले दुजोडवाला कंपनी ने पाइन गोल्ड को पांच-पांच लाख रुपये के पांच चेक दिए थे, लेकिन उक्त चेक बाउंस हो गए थे। सूरज खन्ना के बेटे मोहित खन्ना के अधिवक्ता तरुण राणा ने बताया कि इस मामले में सूरज खन्ना ने मजिस्ट्रेट अदालत में वर्ष 2012 में वाद दायर किया। मजिस्ट्रेट अदालत ने वर्ष 2015 में सूरज खन्ना के हक में फैसला सुनाते हुए दुजोडवाला कंपनी पर 15 लाख रुपये व इसके दो निदेशकों ओम प्रकाश व उनके बेटे विनीत दुजोडवाला पर 15-15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

साथ ही दोनों को तीन-तीन माह के कारावास की सजा भी सुनाई थी। इसे चुनौती दिए जाने पर वर्ष 2016 में पटियाला हाउस के सत्र न्यायाधीश ने याचिका खारिज कर सजा को बराकरार रखते हुए कहा था कि चूंकि कंपनी की गतिविधियां बंद हो चुकी हैं, ऐसे में निदेशकों पर लगाया गया 15-15 लाख का जुर्माना बढ़ाकर 25-25 लाख रुपये किया जाता है। सत्र न्यायाधीश के आदेश पर अपीलकर्ता ने पीड़ित पक्ष को पांच लाख रुपये का भुगतान किया था।

सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ ओम प्रकाश दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे। जुर्माना जमा करने के हाई कोर्ट ने 16 दिसंबर 2016 के आदेश के अनुपालन में ओम प्रकाश व अन्य ने बकाया 45 लाख रुपये की धनराशि दिल्ली हाई कोर्ट के रजिट्रार जनरल के पास जमा करा दी।

इस बीच सूरज खन्ना और ओम प्रकाश की मौत हो गई। सूरज खन्ना के बेटे मोहित खन्ना ने 45 लाख रुपये की धनराशि रिलीज करने का आदेश देने के संबंध में आवेदन दाखिल किया। इसपर हाई कोर्ट ने 16 अगस्त 2017 को कहा कि याचिका पर अंतिम सुनवाई के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।

8 फरवरी, 2021 को न्यायमूर्ति एस. प्रसाद की पीठ ने पीड़ित पक्ष की दलील सुनने के बाद एक के बाद एक सुनवाई कीं। लगातार सुनवाई के कारण दबाव में आए याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि वह आपसी समझौते से विवाद का निपटारा करना चाहता है और 45 लाख रुपये की बकाया धनराशि देने के लिए तैयार है। पीठ ने समझौते को देखते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.