अनाज बर्बादी मामले में दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट का नोटिस
मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार काे नोटिस जारी कर 23 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। गैर सरकारी संगठन संपूर्णा ने राशन वितरण को लेकर एक स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। गरीबों में बांटने के लिए खरीदे गए अनाज की बर्बादी मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार काे नोटिस जारी कर 23 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। गैर सरकारी संगठन संपूर्णा ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर गंभीर सवाल उठाते हुए राशन वितरण को लेकर एक स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है।
राशन वितरण के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की मांग की
अधिवक्ता प्रशांत रावत के माध्यम से दायर याचिका में एनजीओ ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों को पूरा नहीं कर सकी। याचिका के अनुसार अप्रैल 2020 माह में दिल्ली सरकार ने गैर राशन कार्ड धारक को खाद्यान्न और सूखा राशन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना शुरू की थी। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में राशन खरीदा गया, लेकिन दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर लाभार्थी को सूखा राशन किट और खाद्यान्न का उचित वितरण सुनिश्चित करने में बुरी तरह विफल रहे।
भंडारण में रखे-रखे हुए बर्बाद
इसके कारण बाजार मूल्य पर खरीदा गया आनाज गरीबों को वितरित नहीं होने के कारण भंडारण में पड़े-पड़े बर्बाद हो गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अनाज की बर्बादी के कारण न सिर्फ लाभार्थियों को भोजन के मौलिक अधिकार से वंचित रखा गया, बल्कि बिना किसी गलती के जनता पर भारी वित्तीय देनदारियों का बोझ डाल दिया गया।
यह है मामला
दैनिक जागरण ने अनाज की बर्बादी मामले का 29 मई 2021 को पर्दाफाश किया था। जिसमें कई स्कूलों से बर्बाद हुआ अनाज मिला था। लगातार समाने आ रहे हैरान करने वाले तथ्यों को देखते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल को भी नौ जून को मामले की जांच का आदेश देना पड़ा था। जांच के आदेश के बाद सरकार ने स्कलों से अनाज को हटा दिया था।