Delhi High Court : मरते हुए लोगों का मर्म बताते-बताते अदालत के सामने रोने लगे बीसीडी अध्यक्ष
रमेश गुप्ता की मार्मिक दलील सुनकर न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि डाॅक्टर रो रहे हैं हम क्या करें।हम जो भी कर सकते हैं हर दिन करने की कोशिश कर रहे हैं।पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य सरकार की नाकामी है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना से मरते लोगों की तकलीफ बताते बताते जब बार काउंसिल आफ दिल्ली के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता रोने लगे। आठ दिन से लगातार स्थितियों पर सुनवाई कर रहा दिल्ली हाई कोर्ट भी बेबस दिखाई दिया। रमेश गुप्ता की मार्मिक दलील सुनकर न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि डाॅक्टर रो रहे हैं, हम क्या करें। हम जो भी कर सकते हैं हर दिन करने की कोशिश कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य सरकार की नाकामी है। पीठ ने कहा कि अगर हम कागजों में आदेश कर भी देंगे तो इससे आपकी समस्या कम नहीं होगी।
ऑक्सीजन कहां हैं?
पीठ ने कहा हम आपका दर्द समझते हैं और यहां समस्या पैसे की नहीं है, लेकिन अगर हम अस्पताल को अटैच भी कर लेते हैं तो ऑक्सीजन कहां हैं। संचालित बड़े अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने से मना कर दिया है और भर्ती मरीजों को ले जाने को कह रहे हैं। पीठ ने ये अहम टिप्पणी रमेश गुप्ता की दलीलों पर दी।
बार काउंसिल खुद कर सकता है डाॅक्टर का इंतजाम
पीठ ने साथ ही दिल्ली सरकार से कहा कि द्वारका में 95 फीसद बनकर तैयार अस्पताल को संचालित करने पर रिपोर्ट पेश करने को कहा। पीठ ने कहा कि बार काउंसिल को सिर्फ आइसीयू की सुविधा चाहिए। कम लक्षण वाले मरीजों के लिए डाॅक्टर का इस्तेमाल बार काउंसिल खुद कर लेगा।
सेना से मदद लेने पर विचार
सुनवाई के दौरान रोते हुए उन्होंने कहा कि हर दिन 20 से 25 लोगों की खबरें सुन रहा हूं, किसी भी तरह से हमारी मदद करें। उन्होंने मांग की कि बार काउंसिल के सदस्यों के लिए आसीयू बेड के साथ एक अस्पताल को अटैच किया जाए। उन्होंने बताया कि द्वारका कोर्ट के सामने 95 फीसद बनकर तैयार अस्पताल को अधिवक्ताओं के लिए 100 बेड की सुविधाा के साथ शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा हम सेना की मदद क्यों नहीं ले सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि हम अपने फंड का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन हमें सुविधा दी जाए।