Move to Jagran APP

HC ने सुनाया अनूठा फैसलाः सजा देने के बजाय कहा- 'दोनों लोग लगाओ 50-50 पौधे'

दोनों याचिकाकर्ताओं का आपराधिक मुकदमा रद करते हुए हाई कोर्ट ने समाज के प्रति सद्भावना दिखाने के लिए 100 पौधे लगाने का आदेश दिया है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 03:47 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 04:03 PM (IST)
HC ने सुनाया अनूठा फैसलाः सजा देने के बजाय कहा- 'दोनों लोग लगाओ 50-50 पौधे'
HC ने सुनाया अनूठा फैसलाः सजा देने के बजाय कहा- 'दोनों लोग लगाओ 50-50 पौधे'

नई दिल्ली (जेेएनएन)। आपस में समझौते के बाद आपराधिक मुकदमा रद करने की मांग करते हुए दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने अनूठा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने दोनों याचिकाकर्ताओं का आपराधिक मुकदमा रद करते हुए समाज के प्रति सद्भावना दिखाने के लिए 100 पौधे लगाने का आदेश दिया है। दोनों याचिकाकर्ताओं को विकासपुरी स्थित जिला पार्क में 50-50 पौधे लगाने होंगे।

loksabha election banner

पीठ ने कहा है कि हर पौधा तीन वर्ष का होना चाहिए और इनकी ऊंचाई कम से कम छह फीट होनी चाहिए। इसके अलावा दोनों याचिकाकर्ताओं को 26 सितंबर को सुबह 11 बजे दिल्ली विकास प्राधिकरण के निदेशक (बागवानी) के समक्ष रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।

पीठ ने कहा है कि आगे भी दोनों याचियों को सामाजिक कार्य के लिए प्रयास करते रहना होगा। पीठ ने पौधे लगाने के बाद उनके फोटो खींचकर 31 अक्टूबर तक शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा है।

बता दें कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ विकासपुरी थाने में मारपीट करने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि, बाद में दोनों ने आपस में समझौता कर लिया। इसके बाद दोनों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि अब उन्होंने आपस में मामला सुलझा लिया है। ऐसे में एफआइआर रद कर मुकदमा खत्म किया जाए। 

यहां पर बता दें कि एक साल पहले अगस्त, 2017 में भी एक अनूठे और महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को ही नोटिस जारी कर दिया था। दरअसल, हाईकोर्ट ने दक्षिण दिल्ली में बाल यौन शोषण अधिनियम के तहत विशेष अदालत के काम करने के मुद्दे पर खुद को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट की विशेष अदालत दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए उस प्रशासनिक आदेश पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत को भंग कर दिया गया। यह अदालत बाल योन शोषण के मामले की सुनवाई के लिए थी।

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि (POCSO) अधिनियम के तहत उच्च न्यायालय के फैसले पर गठित विशेष अदालत का हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के खिलाफ है। याचिका में विशेष अदालतों में मामलों के वितरण को लेकर भी विरोध जताया गया था। 

याचिका में यह भी कहा गया है कि हाल के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के मामले बढ़े हैं और ऐसे में विशेष अदालत का उन्मूलन बड़ी कठिनाई का कारण बन सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.