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दिल्ली HC ने थैलेसीमिया की बीमारी को दिव्यांगता की श्रेणी में बताया

हाईकोर्ट ने कहा, छात्र रक्त विकार से पीड़ित है और यह थैलेसीमिया बीमारी दिव्यांगता की श्रेणी में आता है। ऐसे में उसे प्रवेश देने से कॉलेज इन्कार नहीं कर सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 22 Oct 2017 09:17 AM (IST)Updated: Sun, 22 Oct 2017 08:41 PM (IST)
दिल्ली HC ने थैलेसीमिया की बीमारी को दिव्यांगता की श्रेणी में बताया
दिल्ली HC ने थैलेसीमिया की बीमारी को दिव्यांगता की श्रेणी में बताया

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने थैलेसीमिया की बीमारी को दिव्यांगता की श्रेणी में बताया है। इस बीमारी से जूझ रहे एक छात्र को इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने दाखिला देने से मना कर दिया था। अब हाई कोर्ट ने छात्र की याचिका पर विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह अपने तीन महाविद्यालयों में से किसी एक में छात्र को दाखिला दे।

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हाईकोर्ट ने कहा, छात्र रक्त विकार से पीड़ित है और यह थैलेसीमिया बीमारी दिव्यांगता की श्रेणी में आता है। ऐसे में उसे प्रवेश देने से कॉलेज इन्कार नहीं कर सकता है।

न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता छात्र राहत का हकदार है। छात्र को यूनिवर्सिटी के किसी कॉलेज में दाखिला दिया जाए।

कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसे उम्मीदवार का मामला था, जिसे अकेले पीडब्ल्यूडी (पर्सन विद डिसेबिलिटी) श्रेणी में प्रवेश के अधिकार से वंचित रखा गया था। छात्र ने 16 जुलाई, 2017 को पहली काउंसिलिंग में सामान्य श्रेणी के अंतगर्त हिस्सा लिया था। इसके बाद दूसरी में पीडब्ल्यूडी के अंतगर्त हिस्सा लिया।

कोर्ट ने कहा कि अगर गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में काउंसिलिंग के दूसरे चरण में पीडब्लूडी की श्रेणी नहीं थी तो फिर छात्र को इसमें भाग लेने की अनुमति क्यों दी गई थी।

थैलेसीमिया अनुवांशिक बीमारी है और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के बाद यह दिव्यांगता की श्रेणी में आता है। दिव्यांगता के नए अधिनियम में दिव्यांग वर्ग के लोगों का आरक्षण भी 3 से 5 प्रतिशत तक बढ़ा है।

उधर, विश्वविद्यालय ने कहा था कि नए कानून के तहत थैलेसीमिया को दिव्यांगता के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन उसके हाथ भारतीय मेडिकल काउंसिल (एमसीआइ) के आगे बंधे थे। विश्वविद्यालय थैलेसीमिया की दिव्यांगता को स्वीकार नहीं कर सकता, क्योंकि एमसीआइ ने इसे अभी लागू नहीं किया है।


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