सुरक्षित रखी जाए डूसू चुनाव में इस्तेमाल हुई ईवीएम, दस्तावेज हैं अहम: हाई कोर्ट
प्रत्याशियों की तरफ से दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिए कि चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के चुनाव परिणाम की जंग सोमवार को हाई कोर्ट पहुंच गई। नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) के तीन प्रत्याशियों की तरफ से दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिए कि चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाए। ईवीएम के पेपर रोल के साथ अन्य दस्तावेजों को भी सुरक्षित रखा जाए।
नोटिस जारी कर जवाब मांगा
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने दिल्ली विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मानव संसाधन मंत्रालय, मुख्य निर्वाचन आयोग और चुनाव में विजयी हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के तीनों प्रत्याशियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह याचिका एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी सनी छिल्लर, उपाध्यक्ष प्रत्याशी लीना और संयुक्त सचिव प्रत्याशी सौरभ यादव की तरफ से दायर की गई है।
सात ईवीएम में से आंकड़े गायब मिले हैं
याचिका में आरोप लगाया गया कि सात ईवीएम में से आंकड़े गायब मिले हैं और ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है। साथ ही सवाल किया गया कि आखिर 12 सितंबर को चुनाव के लिए इस्तेमाल की गई ईवीएम को निजी तौर पर कैसे लिया गया। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील अनूप जॉर्ज चौधरी ने दावा कि चुनाव में इस्तेमाल की गई 12 ईवीएम में से सात ईवीएम के डाटा गायब मिले हैं और ईवीएम के साथ छेड़छाड़ भी की गई है। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि आखिर 12 सितंबर को चुनाव के लिए इस्तेमाल की गई ईवीएम को निजी तौर पर कैसे लिया गया।
तब एनएसयूआइ ने कोई आपत्ति नहीं उठाई
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के वकील अनिल लेखी ने कहा कि इन्हीं ईवीएम को 2009, 2011, 2012 और 2017 के चुनावों में इस्तेमाल किया गया था और तब एनएसयूआइ ने कोई आपत्ति नहीं उठाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं (एसएसयूआइ) ने उन्हीं तीन सीटों के चुनाव परिणाम को चुनौती दी है जोकि एबीवीपी ने जीती हैं। 13 सितंबर को आए चुनाव परिणाम में एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद पर जीत दर्ज की थी, जबकि एनएसयूआइ को सचिव पद से संतोष करना पड़ा था।