डीयू के विधि विभाग की गलती का खामियाजा छात्र क्यों भुगतें : दिल्ली हाई कोर्ट
हाजिरी कम होने के कारण सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने की अनुमति न देने पर अदालत ने डीयू के विधि विभाग को आड़े हाथ लिया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। हाजिरी कम होने के कारण सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने की अनुमति न देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विधि विभाग के शिक्षकों को आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि यह विभाग की गलती है कि काउंसिल के नियमों के अनुसार न्यूनतम कक्षाएं भी नहीं आयोजित कर पाते। पीठ ने डीयू को 500 छात्रों की पूरक परीक्षा करने का निर्देश भी दिया।
विधि विभाग से कहा कि आठ सप्ताह के अंदर पढ़ाई के लिए गंभीर छात्रों की कम से कम 139 घटे की अतिरिक्त क्लास चलाई जाए। हाजिरी कम होने के कारण परीक्षा देने की अनुमति न देने पर 53 छात्रों ने 21 याचिकाएं लगाकर विधि विभाग के आदेश को चुनौती दी थी।
विधि विभाग ने आदेश में कहा था कि उन छात्रों को चौथे और छठे सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं दी जाएगी, जिनकी हाजिरी 70 फीसद से भी कम है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह तो साफ है कि डीयू में चल रही शिक्षक संघ की हड़ताल में विधि विभाग के शिक्षकों की भी काफी भागीदारी है। ऐसे में छात्र इससे काफी हद तक प्रभावित हुए होंगे।
इस मामले में पीठ ने पूर्व में डीयू व बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से जवाब मागा था। छात्रों का कहना था कि विधि विभाग के तीन केंद्रों में कक्षाएं लॉ एजुकेशन बार काउंसिल द्वारा तैयार नियम के अंतर्गत नही चलाई जा रही हैं। इसके चलते हाजिरी में कमी दर्शायी गई। याचिका में तर्क दिया गया था कि विधि विभाग ने कानूनी शिक्षा के बीसीआइ नियमों के तहत आवश्यक पाच घटे तक अपने किसी भी कानून केंद्र में कभी भी कक्षा का आयोजन नहीं किया है। बीसीआइ के नियमों के तहत लॉ सेंटर-2 में प्रत्येक घटे की 465 कक्षाएं होनी थीं, जबकि महज 312 कक्षाएं आयोजित की गई थीं।