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हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक के खिलाफ एकतरफा आदेश पारित करने से किया इन्कार, दिल्ली के मंत्री ने दायर की थी याचिका

न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया वादी के खिलाफ विशेष रूप से कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया गया है सिवाय इसके कि लेनदेन एक घोटाला प्रतीत होता है। ऐसे में इस स्तर पर एकपक्षीय अंतरिम आदेश की मांग नहीं की जाती सकती।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 29 Aug 2021 02:29 PM (IST)Updated: Sun, 29 Aug 2021 02:29 PM (IST)
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत व भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता की फाइल फोटो

नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली परिवहन निगम में एक हजार लो फ्लोर बसें खरीदने के मामले में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में हाई कोर्ट ने एकतरफा अंतरिम आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, वादी के खिलाफ विशेष रूप से कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया गया है, सिवाय इसके कि लेनदेन एक घोटाला प्रतीत होता है। ऐसे में इस स्तर पर एकपक्षीय अंतरिम आदेश की मांग नहीं की जाती सकती।

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पीठ ने विजेंदर गुप्ता जवाब देने के साथ अंतरिम आदेश के आवेदन के लिए 30 दिन का समय दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने आरोप लगाया था कि भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने उन्हें बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए इंटरनेट मीडिया पर मानहानिकारक सामग्री प्रसारित की। आरोप लगाया कि जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए उन पर निंदनीय, द्वेषपूर्ण, झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए। गहलोत ने मानहानि मुकदमा दायर करते हुए विजेंद्र गुप्ता से पांच करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था। साथ ही इंटरनेट मीडिया से कथनों को हटाने की मांग की थी।

इस मामले में सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि विजेंद्र गुप्ता ने इंटरनेट मीडिया पर एक हजार लो फ्लोर बसों के लिए आर्डर देने और उनके रखरखाव में शामिल लागत को लेकर सवाल उठाए हैं या फिर अखबारों की रिपोर्ट पर टिप्पणी की है। कुछ कथन वादी पर राजनीतिक कार्रवाई और विरोध के संबंध में भी हैं। जबकि वादी ने दावा किया है कि मीडिया सूचना के माध्यम से उपराज्यपाल की रिपोर्ट में बस खरीद में कोई अनियमितता नहीं पाई गई है। वहीं गत 10 जुलाई को विजेंद्र गुप्ता द्वारा किया गया ट्वीट इसके विपरीत है।

पीठ के समक्ष कैलाश गहलोत के वकील ने तर्क दिया कि एक हाई पावर कमेटी से क्लीन चिट मिलने के बावजूद विजेंद्र गुप्ता ने लो फ्लोर बसों की खरीद के मामले में उनके मुवक्किल की ईमानदारी पर संदेह करते हुए बेरोकटोक ट्वीट किए। साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार ने बसों का टेंडर निकाला था। उचित प्रक्रिया से यह टाटा को दिया गया। यह भी बताया कि इस मुद्दे पर सदन के पटल पर चर्चा के दौरान उत्तर दिया गया था, फिर भी विजेंद्र गुप्ता ने गलत बयान देना जारी रखा।


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