दिल्ली हाई कोर्ट से स्पा मालिकों को झटका, डीडीएमए के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
दिल्ली में स्पा और वेलनेस सेंटर अभी नहीं खुलेंगे। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कुछ स्पा मालिकों की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी में स्पा और वेलनेस सेंटरों को बंद करने के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के 28 दिसंबर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कुछ स्पा मालिकों की याचिकाओं पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की पीठ ने नोट किया कि अधिकारियों को इस मुद्दे पर निर्णय लेना था। पीठ ने कहा कि यह अदालत को नहीं तय करना था कि इस स्तर पर स्पा और वेलनेस सेंटर खोलने के लिए कोई निर्देश दिया जा सकता है या नहीं।
पीठ ने कहा कि दिसंबर में कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई और प्रासंगिक समय पर मौजूद परिस्थितियों को देखते हुए स्पा को बंद करने का निर्णय लिया गया है। पीठ ने कहा कि इस मामले के तथ्यों में मुझे आक्षेपित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। ऐसे में याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
वहीं, सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील समीर वशिष्ठ ने कहा कि सरकार समय-समय पर स्थिति की समीक्षा कर रही है और तथ्यों की समग्रता को देखते हुए निर्णय लिया जा रहा है।याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि समाचार रिपोर्टो के अनुसार मामले कम हो रहे थे और इससे पहले भी अदालत ने पहले कुछ शर्तो के अधीन स्पा खोलने की अनुमति दी थी।
ब्लैकलिस्टिंग से जुड़ी याचिका की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इन्कार
वहीं, यू-ट्यूब ब्लागर कार्ल एडवर्ड राइस की ब्लैकलिस्टिंग से जुड़ी याचिका की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंध की अवधि 23 फरवरी को समाप्त हो रही है और केंद्र सरकार इसके बाद इस पर नया फैसला लेगी। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की पीठ ने कहा कि वह यू-ट्यूबर की पत्नी द्वारा याचिका में उठाए गए कानूनी मुद्दों पर सुनवाई करेंगे, लेकिन तय तारीख से पहले सुनवाई संभव नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने जल्द सुनवाई की अपनी अर्जी को वापस ले लिया।
याचिका में अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता के पति को बिना किसी नोटिस के काली सूची में डाल दिया गया। इस पर केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति का वीजा रद कर दिया गया था और प्रतिबंधित क्षेत्रों का दौरा करने के कारण काली सूची में डालने का आदेश जारी किया गया। याचिकाकर्ता मनीषा मलिक ने अपने पति को प्रवेश वीजा देने से इन्कार करने के केंद्र सरकार के फैसले को मनमाना और अनुचित होने के आधार पर चुनौती दी है।