अकाउंट निलंबित करने के खिलाफ याचिका पर ट्विटर को नोटिस
ट्विटर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कहा कि ट्विटर एक निजी संस्था है और उसके खिलाफ याचिका चलाने योग्य नहीं है।याचिका में कहा गया है कि नियमों का हवाला देकर अकाउंट निलंबित करने के बाद ट्विटर ने ईमेल के माध्यम से इसकी जानकारी दी
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नियमों का उल्लंघन करने पर अकाउंट निलंबित करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक उपयोगकर्ता जसदीप मुंजाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने माइक्रोब्लागिंग प्लेटफार्म ट्विटर से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की पीठ ने मुंजाल की याचिका पर ट्विटर और केंद्र को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 30 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। मुंजाल ने याचिका में कहा कि 24 फरवरी को जब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लाग-इन करने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि बिना किसी पूर्व नोटिस के उनका अकाउंट निलंबित कर दिया गया था।
ट्विटर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कहा कि ट्विटर एक निजी संस्था है और उसके खिलाफ याचिका चलाने योग्य नहीं है।याचिका में कहा गया है कि नियमों का हवाला देकर अकाउंट निलंबित करने के बाद ट्विटर ने ईमेल के माध्यम से इसकी जानकारी दी।याचिका में कहा गया कि याची के 1.68 लाख से अधिक फालोअर हैं। उन्होंने ट्विटर की कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया है।उन्होंने ट्विटर के 24 फरवरी के फैसले को रद करने का निर्देश की मांग की है।
यूक्रेन से लौटे छात्रों की शिक्षा जारी रखने के लिए कदम उठाने की मांग
वहीं, यूक्रेन से लौटने वाले मेडिकल छात्रों की मेडिकल कालेजों में शिक्षा जारी रखने के दिशा में कदम उठाने के संबंध में केंद्र सरकार व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को निर्देश देने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। प्रवासी कानून प्रकोष्ठ ने याचिका दायर कर कहा कि आंकड़ों के अनुसार लगभग 20 हजार भारतीय छात्र हैं जो यूक्रेन में पढ़ रहे थे और वर्तमान स्थिति में ऐसे छात्रों का भविष्य अनिश्चितता से घिरा है।याचिका पर 21 मार्च को सुनवाई होने की संभावना है। अधिवक्ता एमपी श्रीविग्नेश के माध्यम से याचिका दायर कर प्रकोष्ठ ने कहा कि मामले को प्राथमिकता पर लेकर निर्देश दिया जाए। दलील दी गई कि युद्ध क्षेत्र में कई तरह की समस्याओं का सामना करके भारत लौटे छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में विदेश में पढ़ने वाले छात्रों का भारत के मेडिकल छात्रों में समायोजित करने के लिए कोई मानदंड या नियम नहीं हैं।याचिका में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा चार मार्च 2022 को जारी एक परिपत्र का जिक्र किया गया है। इसके अनुसार भारत में विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को वजीफे के भुगतान की अनुमति देता है।याचिका में कहा गया कि उपरोक्त परिपत्र उन छात्रों के लिए अधिक उपयोगी नहीं है जिन्हें यूक्रेन से बचाया गया है क्योंकि उनमें से कई अध्ययन के दूसरे, तीसरे या चौथे वर्ष में हैं।इन छात्रों ने अभी तक अपनी डिग्री पूरी नहीं की है।