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आरटीआइ से खुलासाः 108 करोड़ रुपये खर्च कर बने ये सात डिपो, बसें अब तक नहीं चलीं

आम आदमी पार्टी सरकार के साढ़े तीन वर्ष बीतने के बाद भी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नहीं हुई सुदृढ़। 1000 इलेक्ट्रिक बसों की योजना भी राजनीति में फंसी।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 06:11 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 06:11 PM (IST)
आरटीआइ से खुलासाः 108 करोड़ रुपये खर्च कर बने ये सात डिपो, बसें अब तक नहीं चलीं
आरटीआइ से खुलासाः 108 करोड़ रुपये खर्च कर बने ये सात डिपो, बसें अब तक नहीं चलीं

नई दिल्ली (भगवान झा)। करीब साढ़े तीन साल पहले देश की राजधानी दिल्ली बड़े राजनीतिक बदलाव की गवाह बनी थी। पुरानी सरकारों से परेशान होकर दिल्ली के लोगों ने एक धरने को सरकार का रूप दे दिया। उम्मीद थी कि ये सरकार कुछ करे न करे, कम से कम मूलभूत सुविधाओं और लोगों को हो रही रोजमर्रा की समस्याओं पर तो काम करेगी ही। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की। सरकार बनने से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों की सुविधा और सहूलियत से जुड़े कई बड़े-बड़े वादे किए थे। इसमें दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करना भी शामिल था। सरकार को साढ़े तीन साल पूरे हो चुके हैं। बावजूद अब तक दिल्ली की परिवहन व्यवस्था खस्ताहाल है। लोगों को अब भी बसों के इंतजार में खड़े रहना पड़ता है। पर्याप्त बसें न होने के कारण लोगों को बसों की भीड़ में धक्के खाकर सफर करना पड़ता है।

अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने के दो वर्ष के भीतर करोड़ों रुपये खर्च कर राजधानी के विभिन्न इलाकों में सात नए बस डिपो तो बनवा दिए। लेकिन अभी तक इन डिपो से बसों का परिचालन पूरी तरह शुरू नहीं हो पाया है। वजह दिल्ली में बसों की भारी कमी है। सरकार ने दिल्ली में 1000 नई बसें चलाने की योजना बनाई थी, जिसे नियमों के विरुद्ध करार देकर राजनीति में उलझा दिया गया है।

सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, खड़खड़ी नाहर बस डिपो का निर्माण जून 2018, द्वारका सेक्टर-22 डिपो का निर्माण अक्टूबर 2017, दिचांऊ कलां-2 डिपो का काम नवंबर 2016, बवाना सेक्टर-1 डिपो का निर्माण मई 2017 में पूरा हो गया। वहीं, रानी खेड़ा डिपो-1 का निर्माण सितंबर-2017, रानी खेड़ा डिपो-2 का निर्माण नवंबर 2017, रानी खेड़ा डिपो-3 का निर्माण नवंबर 2017 में पूरा हो गया। इसके अलावा रेवला खानपुर डिपो का निर्माण कार्य जून 2018 में पूरा हो चुका है।

इतनी व्यवस्थाएं होने के बाद भी सिर्फ दिचाऊं बस डिपो-2 से कलस्टर बस सेवा का परिचालन शुरू किया गया। उम्मीद थी कि सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था सुदृढ़ होगी, लेकिन बसों की कमी के कारण डिपो से बसों का परिचालन संभव नहीं हो पाया है। यानी, योजना तो बना दी गई, लेकिन परिचालन को लेकर सरकार लापरवाह दिख रही है।


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