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शहीद नरेंद्र सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपये की मदद देगी दिल्ली सरकार

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को जम्मू में शहीद हुए थाना कलां निवासी बीएसएफ के जवान नरेंद्र सिंह के सोनीपत स्थित घर पहुंचे।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 02:44 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:59 AM (IST)
शहीद नरेंद्र सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपये की मदद देगी दिल्ली सरकार
शहीद नरेंद्र सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपये की मदद देगी दिल्ली सरकार

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शहीद नरेंद्र सिंह के परिवार से मिलने के लिए शुक्रवार को थाना कलां गांव पहुंचे। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में वह शहीद के परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी शहादत को नमन करते हैं। साथ ही कहा कि शहीद का परिवार दिल्ली में रहता है, इसलिए दिल्ली सरकार की पॉलिसी में बदलाव करते हुए शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये व नौकरी देगी।

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शहीद के परिजनों से बातचीत के बाद केजरीवाल ने कहा कि पाकिस्तान ने बहुत निर्मम हत्या की है। इसकी वह कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने फैसला लिया है कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाकर शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये व नौकरी के लिए दी जाएगी। शहीद नरेंद्र के भतीजे विक्की ने केजरीवाल से बताया कि होम मिनिस्ट्री ने उन्हें मामले की पूरी जानकारी तक नहीं दी।

इससे पहले बृहस्पतिवार को राजकीय सम्मान के साथ शहीद नरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद का शव अल सुबह ही कंवाली मोड़ पर पहुंच गया था। वहां से हजारों की संख्या में एकत्रित लोग पैदल मार्च करते हुए हाथों में तिरंगा लेकर शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर थाना कलां गांव पहुंचे। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया और फूलों की बारिश की। इस दौरान लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के भी नारे भी लगाए। 

बृहस्पतिवार सुबह करीब सात बजे बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट आरएन कौशिक नरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर लेकर पहुंचे। वहीं बीएसएफ के डीआइजी महेंद्रा सिंह देवा, सहायक कमांडेंट नरेंद्र कुमार यादव भी दिल्ली से उनके साथ थे।

बीएसएफ शहीद नरेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर को अपने वाहन से लेकर आ रही थी, लेकिन ग्रामीणों ने पार्थिव शरीर खुली ट्राली में रखने की मांग कर दी, जिस पर पार्थिव शव को खुली ट्राली में रखा गया और फिर सम्मान के साथ शहीद की अंतिम यात्र निकली। नरेंद्र सिंह के घर पर उनके दोनों बेटे मोहित, अंकित, पत्नी संतोष व परिवार के अन्य सदस्यों सहित ग्रामीणों व प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तरफ से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी व जिला प्रशासन की तरफ से उपायुक्त विनय सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित किए। शहीद के बेटे ने मुखाग्नि दी। स्कूली बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर शहीद नरेंद्र सिंह अमर रहे के नारे लगाने के साथ ही उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पवर्षा भी की।

वहीं, शहीद नरेंद्र सिंह की पत्नी संतोष का कहना है कि पति की शहादत पर नाज है, देश सेवा में उन्होंने अपनी जान दे दी। मेरे दोनों बेटे भी सीमा पर देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं। बेटे सेना में जाना चाहते हैं। वे पिता से अक्सर इस बात का जिक्र भी किया करते थे।

संतोष ने सिसकते हुए कहा कि पति ने देशसेवा में अपने प्राणों की आहुति दे दी, भारत मां का कर्ज चुकता किया है, लेकिन पाक की नापाक हरकत ने उन्हें काफी गहरा जख्म दिया है। मंगलवार सुबह ही फोन पर नरेंद्र सिंह ने आखिरी बार उनसे बात की थी। घर व बच्चों का हालचाल पूछने के बाद बताया था कि नहाने के बाद उन्होंने खाना खाया है और वह अब पीओ के लिए निकलेंगे। पीओ का क्या मतलब होता है वह नहीं जानती लेकिन अक्सर पति पीओ पर जाने की बात कहा करते थे।

जवाब दो कब तक लोगे बदला: मोहित
पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद शहीद नरेंद्र सिंह के बेटे मोहित ने कहा कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है। लेकिन, हर बार ऐसा होता रहेगा तो कैसे काम चलेगा। आखिरकार हमें कब तक सहन करना पड़ेगा। हमें सरकार की तरफ से एक संतोषजनक जवाब चाहिए कि जो बर्बरता उन्हें अपने पिता के साथ देखने को मिली है, जिस निर्दयता से मेरे पिता के साथ यह कृत्य किया गया है उसका जवाब पाकिस्तान को कब तक दे दिया जाएगा। मोहित ने कहा कि ऐसा करना बहुत ही कायराना है, इससे मैं दुखी नहीं आहत हूं और चाहता हूं कि सेना इस बर्बरता का मुंह तोड़ जवाब दे। मोहित ने कहा कि वह बीएसएफ से मांग करते हैं कि एक शहीद के परिवार को जो सुविधाएं मिलती है उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध करवाया जाए।


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