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निर्माण व औद्योगिक गतिविधियां बंद करने से क्यों परहेज कर रहा है ईपीसीए

ईपीसीए का मानना है कि कोरोना लॉकडाउन के चलते यह दोनों ही गतिविधियां लंबे समय तक बंद रहीं और अब मुश्किल से पटरी पर आनी शुरू हुई हैं। ऐसे में इन पर फिर से प्रतिबंध अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

By Edited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 08:17 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 12:31 PM (IST)
निर्माण व औद्योगिक गतिविधियां बंद करने से क्यों परहेज कर रहा है ईपीसीए
दिल्ली और एनसीआर में जारी हैं निर्माण कार्य।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली- एनसीआर की हवा बेशक जहरीली हो चुकी है, लेकिन तब भी पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) इस बार भवन निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां बंद करने से परहेज कर रहा है। ईपीसीए का मानना है कि लॉकडाउन के चलते दोनों गतिविधियां लंबे समय तक बंद रहीं और अब मुश्किल से पटरी पर आनी शुरू हुई हैं। ऐसे में इन पर फिर से प्रतिबंध अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस साल दिल्ली-एनसीआर में भवन निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां छह माह से भी अधिक समय तक बंद रही हैं। पहले लॉकडाउन के चलते और फिर श्रमिक न मिलने के कारण। इससे अर्थव्यवस्था को तो खासा धक्का लगा है। अब कुछ दिनों से हालात बदलने शुरू हुए हैं। धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौट रही है।

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वहीं प्रदूषण की बात करें तो पिछले कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। दिल्ली के कई इलाकों का एक्यूआइ 400 का आंकड़ा पार कर गंभीर श्रेणी में भी पहुंच चुका है। अगर मौसम की मेहरबानी नहीं हुई तो जल्द ही दिल्ली-एनसीआर का एयर इंडेक्स भी गंभीर श्रेणी में चला जाएगा। पिछले सालों का रिकॉर्ड देखें तो एक्यूआइ के गंभीर श्रेणी में आते ही भवन निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां बंद कर दी जाती थीं। वहीं इस बार बदले हुए हालात में ईपीसीए दोनों ही प्रतिबंध लगाने से बच रहा है। ईपीसीए का कहना है कि कोरोना काल में वायु प्रदूषण से बचना जरूरी है, लेकिन अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना भी जरूरी है। इसलिए निर्माण स्थलों पर जहां एंटी स्मॉग गन लगवाई जा रही है, वहीं औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छ ईंधन पीएनजी पर स्थानांतरित कराया जा रहा है। 80 फीसद तक यह कार्य पूरा भी किया जा चुका है।

भूरेलाल (अध्यक्ष, ईपीसीए) का कहना है कि प्रदूषण बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। लगातार निगाह रखी जा रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स को नीचे लाने के लिए मैकेनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की नौबत न आए। 

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