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Night Curfew in Delhi: दिल्‍ली सरकार ने हाईकोर्ट में कहा, फिलहाल इसकी जरूरत नहीं

Night Curfew in Delhi हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आखिर जब दूसरे राज्‍यों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो दिल्‍ली में भी अन्‍य राज्‍यों के जैसे नाइट कर्फ्यू क्‍यों नहीं लगाना चाहिए। दिल्‍ली सरकार ने जवाब में कहा कि फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 03:43 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 06:33 PM (IST)
Night Curfew in Delhi: दिल्‍ली सरकार ने हाईकोर्ट में कहा, फिलहाल इसकी जरूरत नहीं
नाइट कर्फ्यू को लेकर दिल्‍ली सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया है।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। दिल्‍ली में बढ़ते कोरोना केस के बीच सरकार की सतर्कता के कारण यह फिलहाल काफी हद तक काबू में होता नजर आया। इधर दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आखिर जब दूसरे राज्‍यों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो दिल्‍ली में भी अन्‍य राज्‍यों के जैसे नाइट कर्फ्यू क्‍यों नहीं लगाना चाहिए। इस पर दिल्‍ली सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि दिल्‍ली में फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है। 

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कुछ दिनों पहले बिगड़े थे हालात

बता दें कि कुछ दिनों पहले तक दिल्‍ली में कोरोना के केस काफी ज्‍यादा आ रहे थे। वहीं इस महामारी से अचानक से मौतों का आंकड़ा बढ़ गया था, इसको लेकर स्‍वास्थ्‍य एजेंसियां से लेकर सरकार के आला अधिकारी परेशान हो गए थे। इसी बीच दिल्‍ली सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्‍ली में कोरोना अगले कुछ दिनों में कंट्रोल में आ जाएगा। इसके लिए सरकार ने कई स्‍तर पर काम किया। पहली बात यह है कि सरकार ने आरटीपीसीआर टेस्‍ट को बढ़ाने पर जोर दिया। इसके बाद सरकार ने कंटेनमेंट जोन को बढ़ाया जिसके कारण कंटेक्‍ट ट्रेसिंग ज्‍यादा से ज्‍यादा हो रही। इससे संक्रमितों की संख्‍या पर लगाम लगी है। 

कुछ नई पाबंदियों की ओर किया इशारा

इसी क्रम में सरकार ने नाइट कर्फ्यू को लेकर चल रही उहापोह पर गुरुवार को साफ कर दिया है कि दिल्ली में फिलहाल नाइट कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा। हालांकि यह भी बताया कि आने वाले समय में कुछ नई पाबंदियां जनता के ऊपर लगाई जा सकती हैं।

आरटीपीसीआर जांच घटाने पर डीएमए ने जताया विरोध

इधर, कोरोना की आरटीपीसीआर जांच का शुल्क कम करने के फैसले का दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने विरोध किया है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने कीमतें कम करने से पहले हितधारकों से बातचीत नहीं की। एसोसिएशन का कहना है कि इस मामले पर सरकार को पहले एसोसिएशन से बातचीत करनी चाहिए थी। इसके अलावा जांच शुल्क कम करने से पहले किट की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

2400 की जगह 800 रुपये तय आरटीपीसीआर जांच शुल्क

एसोसिएशन का कहना है कि एक लैब शुरू करने में लाखों रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा आरटीपीसीआर किट, पीपीई किट सहित कई अन्य चीजों पर अलग खर्च आता है। कर्मचारियों को वेतन भी देना होता है। शुल्क निर्धारण में इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। दिल्ली सरकार ने निजी अस्पताल व किसी निजी लैब में आरटीपीसीआर जांच कराने पर शुल्क 2400 की जगह 800 रुपये तय कर दिया है। वहीं, घर से नमूना लेने पर 1200 रुपये शुल्क तय किया है। एसोसिएशन ने सरकार से फैसले पर विचार करने और आपसी सहमति से कीमतें तय करने की मांग की है।

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