दिल्ली सरकार ने दिव्यांगों, अनाथों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए ठीक तरह से नहीं किया काम, दिल्ली हाईकोर्ट नाराज
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि इन लोगों की कोरोना महामारी में उपेक्षा की गई। इनकी देखभाल करने की जरूरत है। दिल्ली सरकार को तीन दिन के अंदर मदद के लिए तैयार किया गया स्पष्ट खाका लेकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत होने को कहा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिव्यांगों, अनाथ बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि इन लोगों की कोरोना महामारी में उपेक्षा की गई। इनकी देखभाल करने की जरूरत है। पीठ ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार को तीन दिन के अंदर मदद के लिए तैयार किया गया स्पष्ट खाका लेकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत होने को कहा।
सुनवाई के दौरान बचपन बचाओ आंदोलन की तरफ से पेश हुईं अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने पीठ को अवगत कराया कि दिव्यांगों के लिए कोई हेल्पलाइन नहीं है। बहुत से एनजीओ इनके लिए काम कर रहे हैं और सरकार को ऐसी संस्थाओं को आर्थिक रूप से मदद करनी चाहिए। नोडल अधिकारी को इन संगठनों के साथ समन्वय करना चाहिए। इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि आखिर हमें निर्देश या आदेश देने की जरूरत क्यों है। कौर ने पीठ को बताया कि अगर कोई दिव्यांग व्यक्ति कोरोना संक्रमित है और उसे मदद की जरूरत है तो कोई ऐसी जगह नहीं है जहां मदद के लिए जा सके।
यहां तक कि दिव्यांगों के टीकाकरण का मामला एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है। उन्होंने कहा कि 13 मई को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण व समाज कल्याण विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, लेकिन अनाथ बच्चों, दिव्यांगों व महामारी से प्रभावित वरिष्ठ नागरिकों के हित में कम ही काम हुआ।सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पीठ को बताया कि गया कि हेल्पलाइन नंबर को प्रचारित करने के लिए पेशेवर एंकर शमी नारंग की मदद ली गई है। बच्चों के लिए 1098 और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 14567 हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है।