सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे पर सरकार ने SC का फिर खटखटाया दरवाजा, बड़ी बेंच बनाने की मांग
आप सरकार ने सोमवार को देश के उच्चतमक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के लिए शीघ्र फैसला लेने के लिए एक बड़ी बेंच बनाने की अपील की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली पर अधिकार की लड़ाई को लेकर दिल्ली की आप सरकार सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे पर शीघ्र फैसला लेने के लिए आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एक वृहद पीठ गठित करने का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया तो पीठ ने आप सरकार के वकील से कहा कि इस पर गौर किया जाएगा। शीर्ष अदालत की दो न्यायाधीशों की पीठ ने 14 फरवरी को प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के सवाल पर अपने खंडित फैसले में यह मसला वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध प्रधान न्यायाधीश से किया था।
अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से विवादों का केंद्र रहे छह मुद्दों पर विचार किया था। पीठ ने प्रशासनिक सेवाओं के अलावा शेष सभी पांच विषयों पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर सकती।
न्यायालय ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण का मुद्दा वृहद पीठ को संदर्भित करते हुए कहा था कि जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार केंद्र के ही पास रहेगा क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में कोई 'राज्य सरकार' नहीं है और इस संबंध में राज्य सरकार का तात्पर्य केंद्र सरकार ही है। इससे पहले चार जुलाई, 2018 को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी के शासन के संबंध में कुछ मानदंड प्रतिपादित किए थे।
क्या कहा था जस्टिस सीकरी ने
अपने फैसले में जस्टिस सीकरी ने कहा है कि आइएएस अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार उपराज्यपाल को दिया जाए, जबकि दानिक्स (दिल्ली अंडमान एंड निकोबार, आइसलैंड सिविल सर्विस) के अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहें। अगर कोई मतभेद होता है तो राष्ट्रपति के पास मामला भेजा जाए। वहीं, दूसरे जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि पूरे सर्विस के मामलों में केंद्र सरकार को अधिकार है। इसके बाद दिल्ली की 'आप' सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पहले आए फैसले के अहम बिंदु
- गंभीर मुद्दों पर उपराज्यपाल से मतभेद नहीं हों
- बिजली सुधार दिल्ली सरकार के जिम्मे
- सरकारी वकील की नियुक्ति दिल्ली सरकार करेगी
- दिल्ली सरकार जमीन का सर्किल रेट तय कर सकेगी