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तारों व मांझे में फंसे पक्षियों के लिए दलकलकर्मी बने मसीहा, आपात स्थिति में फंसे दर्जनों पक्षियों को रोजाना दे रहे जीवनदान

सड़कों पर गुजरते तारों या फिर पेड़ों की शाखाओं में मांझे में फंसे पक्षी अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। इन्हें बचाने के लिए या तो लोग स्वयं मदद के लिए आगे आते हैं या फिर दिल्ली अग्निशमन विभाग के कर्मी।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 04:54 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 04:54 PM (IST)
तारों व मांझे में फंसे पक्षियों के लिए  दलकलकर्मी बने मसीहा, आपात स्थिति में फंसे  दर्जनों पक्षियों को रोजाना दे रहे जीवनदान
जानवरों को बचाने के मामले में अग्निशमन विभाग के पास रोजाना औसतन आठ के करीब काल आती हैं।

नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। सड़कों पर गुजरते तारों या फिर पेड़ों की शाखाओं में मांझे में फंसे पक्षी अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। इन्हें बचाने के लिए या तो लोग स्वयं मदद के लिए आगे आते हैं या फिर दिल्ली अग्निशमन विभाग के कर्मी। राजधानी में रोजाना औसतन 11 पक्षियों को अग्निशमन विभाग आपात स्थिति से बचाता है। यह वह पक्षी होते हैं जो मांझे की डोर में जिंदगी और मौत के बीच फंस जाते हैं। पक्षियों के साथ ही विभाग के जानवरों जैसे गाय, भैंस, बिल्ली, कुत्ते आदि को भी आपात परिस्थितियों से निकालते हैं।

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जानवरों को बचाने के मामले में अग्निशमन विभाग के पास रोजाना औसतन आठ के करीब काल आती हैं। दमकल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, आग की घटनाओं से निपटने के साथ ही विभाग को आपात स्थिति में फंसे पक्षी, जानवरों फंसने, पेड़ गिरने, मकान गिरने समेत कई अन्य परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। दिल्ली अग्निशमन विभाग के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि आपात स्थिति में सबकी जान बराबर है।

ऐसे में कोशिश रहती है कि मुसीबत में फंसे सभी को सुरक्षित बचाया जाए। बचाए गए पक्षी की स्थिति यदि अच्छी होती है तो उसे छोड़ दिया जाता है अगर घायल है तो उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। विभाग द्वारा गायों को नालों या गड्ढों के साथ-साथ असामान्य स्थानों में फंसी बिल्लियों और कुत्तों को भी बचाया जाता है। ऐसा भी कई बार हुआ है जब बचाव अभियान के दौरान दमकलकर्मियों को जानवरों ने काट तक लिया है। एक दमकल केंद्र के अधिकारी ने बताया कि कई बार पक्षियों को बचाने के लिए कई घंटों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

पेड़ों के बीच सीढि़यों को लगाकर बचाव अभियान चलाया जाता है। बचाव अभियान के दौरान हाइड्रोलिक प्लेटफार्म युक्त मशीनों का भी उपयोग किया जाता है। कई मामलों में पक्षी 35 फीट से अधिक की ऊंचाई पर फंस जाते हैं। ऐसे में अधिक ऊंचाई पर पहुंचने वाली हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की मशीनों को उपयोग में लाया जाता है।

यह हैं आकड़े :

  • वर्ष 2020-21                                2021-22
  • कुल काल-15158                             11908
  • आग की काल-4046                          4200
  • पक्षियों से संबंधित काल-2901             2627
  • जानवरों से संबंधित काल-3604            3614
  • अन्य काल-25709                              22349
  • नोट : वित्तीय वर्ष 2021-22 का आंकड़ा एक अप्रैल 2021 से 18 जनवरी 2022 तक का है।
  • नोट : वित्तीय वर्ष 2021-22 का आंकड़ा एक अप्रैल 2021 से 18 जनवरी 2022 तक का है। 

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