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पिता के घर में रहने के लिए बेटी को देना होगा व्यवसाय शुल्क, दिल्ली HC ने दिया अहम फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिव्या अपने पिता के घर में एक कमरा रसोईघर शौचालय और बरामदे का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में उन्हें एक अक्टूबर से पिता को दस हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 08:32 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 08:32 AM (IST)
नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पिता और बेटी के बीच संपत्ति के विवाद के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने याचिकाकर्ता बेटी दिव्या कुकरेजा को निर्देश दिया कि वह अपने पिता चिरंजीव लाल कुकरेजा की संपत्ति का इस्तेमाल करने के बदले उन्हें व्यवसाय शुल्क का भुगतान करें। यह 10,000 रुपये प्रति महीना होगा।

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सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी पिता सेवानिवृत्त अभियंता हैं, जबकि शिक्षित होने के कारण बेटी अपनी आजीविका के लिए कमाने में सक्षम है। पीठ ने कहा कि दिव्या अपने पिता के घर में एक कमरा, रसोईघर, शौचालय और बरामदे का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में उन्हें एक अक्टूबर से पिता को दस हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है। मामले में अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी।

दक्षिण दिल्ली स्थित ईस्ट ऑफ कैलाश निवासी चिरंजीव लाल कुकरेजा के अधिवक्ता निपुन कात्याल ने बताया कि चिरंजीव ने अपनी बेटी को बिजनेस मैनेजमेंट में उच्च शिक्षा दिलाई और वर्ष 2008 में शादी की थी। हालांकि, पति से किसी वजह से तलाक होने के बाद वह वर्ष 2012 में पिता के पास दिल्ली आ गईं, लेकिन कुछ समय बाद ही पिता के साथ भी उनके रिश्ते खराब हो गए। इसके बाद आए दिन घर में भी झगड़ा शुरू हो गया। पिता से भी बेटी की अनबन होने लगी। मामला विवाद में तब्दील हो गया। 

इसके बाद संपत्ति विवाद को लेकर पहले मामला साकेत मजिस्ट्रेट के पास पहुंचा, जहां फैसला चिरंजीव लाल कुकरेजा के पक्ष में आया। इस फैसले को दिव्या ने जिला न्यायाधीश के पास चुनौती दी। हालांकि, वहां भी दिव्या के खिलाफ फैसला आया। निचली अदालत के फैसले को दिव्या ने वर्ष 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। गौरतलब है कि कानून में बदलाव के बाद पिता की संपत्ति में बेटी की तरह बेटियों का समान अधिकार मिल गया है।

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